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This Article is From May 16, 2020

केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण किया जाएगा : निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज पर चौथी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण किया जाएगा.

नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज पर चौथी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण (डिस्कॉमः का निजीकरण किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे ग्राहकों को अच्छी सेवा मिलेगी और कंपनियों को लाभ होगा.    आपको बता दें कि संकट में फंसी बिजली वितरण कंपनियों यानी डिस्कॉम को 90,000 करोड़ रुपये की नगद मदद का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ही तीसरी प्रेस कांन्फ्रेंस में किया था. जिस पर विशेषज्ञों का कहना था कि यह एक अस्थायी व्यवस्था है और इससे कोविड-19 से निपटने का प्रयास कर रही राज्य सरकारों पर और दबाव पड़ेगा.

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) के जरिये डिस्कॉम को यह वित्तपोषण उपलब्ध कराया है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 की वजह से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है.

राहत पैकेज की पहली किस्त में डिस्कॉम को ऋण मंजूरी को राज्य बिजली क्षेत्र में सुधार से संबद्ध किया गया था. इनमें उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल भुगतान, राज्य सरकार से लंबित बकाये का परिसमापन और बिजली वितरण कंपनियों के परिचालन और वित्तीय नुकसान को कम करने की योजना जैसे सुधार शामिल हैं.

अभी डिस्कॉम पर बिजली उत्पादन और पारेषण कंपनियों का बकाया 94,000 करोड़ रुपये तक है. राहत पैकेज से इसमें कमी की संभावना है. इक्रा रेटिंग्स समूह के प्रमुख सब्यसाची मजूमदार ने कहा, ‘‘डिस्कॉम के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो ऋण के जरिये नकदी राहत योजना से उनके के लिए कुल ब्याज लागत बढ़ेगी. यह अखिल भारतीय स्तर पर प्रति यूनिट की बिक्री पर नौ पैसे बैठेगा.'

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों पर इसका प्रभाव अधिक बैठेगा.  उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन कंपनियों के कुल बकाया का 80 प्रतिशत इन राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर है. सब्यसाची ने कहा कि ब्याज की इस लागत को शुल्क के जरिये डिस्कॉम स्थानांतरित कर पाती हैं या नहीं, यह अभी अनिश्चित है. 

सब्यसाची ने कहा कि इससे राज्य सरकार के समर्थन पर उनकी निर्भरता बढ़ेगी. ऐसे में डिस्कॉम में खातों में नुकसान का स्तर 2019-20 की तुलना में 2020-21 में लॉकडाउन की वजह से 27,000 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा. 

उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2015 में उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना शुरू की थी। इस योजना का मकसद बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय संकट का स्थायी समाधान ढूंढना था. इस योजना के तहत राज्य सरकारें 30 सितंबर, 2015 तक डिस्कॉम का 75 प्रतिशत कर्ज खुद पर ले लिया था और ऋणदाताओं को बांड बेचकर भुगतान कर सकेंगी. 

हालांकि, इस योजना से डिस्कॉम को कोई लाभ नहीं हुआ. बल्कि राज्यों का कर्ज का बोझ बढ़ गया, वहीं बिजली वितरण्सा कंपनियां भुगतान में चूक करती रहीं. केयर रेटिंग्स ने कहा कि डिस्कॉम को 90,000 करोड़ रुपये का ऋण सही दिशा में उठाया गया कदम है. हालांकि, देखने वाली बात यह होगी कि बिजली वितरण कंपनियां इसका कितना फायदा ले पाती हैं, क्योंकि यह योजना कुछ ‘कड़ी' है और इसमें राज्य सरकार की गारंटी की जरूरत होगी. 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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