मॉनसून की देरी की वजह से अभी से ही किसानों की जिदंगी में हताशा, नाउम्मीदी और तबाही का माहौल है। हैदराबाद से 70 किलोमीटर दूर मेडक जिले के गजवेल गांव, जो तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का इलाका है, वहां तीन किसानों ने खुदकुशी कर ली है।
इन किसानों ने पहली बारिश के बाद दूसरे किसानों की तरह कर्ज लेकर कपास और धान की बुवाई की, लेकिन बाद में बारिश न होने से सब कुछ सूख गया। बाकी राज्य के हालात भी गजवेल से अलग नहीं हैं।
कमजोर मॉनसून का असर जमीन पर दिखने लगा है। मौसम विभाग मान चुका है कि अब तक 43 फीसदी बारिश कम हुई है। सरकार के लिए खतरे की घंटी साफ है, लेकिन सरकार बस यही कह रही है कि वह तैयार है। पश्चिम भारत के कुछ इलाकों में मॉनसून सक्रिय हुआ है। मुंबई में ज्यादा बारिश होने से लोग परेशान हैं, लेकिन गुजरात के ज्यादातर इलाके अभी बारिश को तरस रहे हैं और अकाल का संकट आ खड़ा हुआ है।
मॉनसून सुस्त होने से राजस्थान में सिर्फ 8 फीसदी बुवाई हो पाई है। किसान बीज और खाद खरीदने से डर रहे हैं। डर है की कहीं खेती में निवेश उन्हें डूबा न दे। राजस्थान में किसान सिंचाई के लिए पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर करते हैं।
बारिश न होने से जहां गर्मी से लोग परेशान हैं, वहीं मालवा के संतरा किसानों का हाल बेहाल है। कम बारिश होने से जहां एक तरफ संतरे की पैदावार खराब हो रही है, वहीं आशंका इस बात की है कि अगर और कुछ दिनों में बरसात नहीं हुई, तो बची हुई पैदावार भी खत्म न हो जाए।
कमजोर मॉनसून से उत्तर भारत की लाइफ लाइन कहे जाने वाले भाखड़ा बांध में जलस्तर में आई गिरावट से पंजाब हरियाणा और राजस्थान में सिंचाई पर असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है। भाखड़ा बोर्ड ने राज्यों को आगाह किया है कि 15 जुलाई तक हालात न सुधरे, तो 10 फीसदी पानी की कटौती की जाएगी।
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