प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
नोटबंदी का असर किसानों पर बुरा पड़ा है. कृषि मंत्रालय ने वित्तीय मामलों की संसदीय समिति के सामने मानी है. हालांकि जब यह खबर छपी तो कृषि मंत्री ने फ़ौरन इसका खंडन किया.
नोटबंदी के बाद नगदी की कमी की वजह से ग्रामीण भारत में हताशा के हालात पैदा हुए. ये बात कृषि मंत्रालय ने वित्तीय मामलों की संसदीय समिति को सौंपे एक बैकग्राउंड नोट में मानी है. नोट के मुताबिक बहुत सारे किसान बीज और खाद नहीं खरीद सके. 2016 में रबी की फसल पर इसका बुरा असर पड़ा.
बुधवार को यह खबर अखबारों में छपी तो राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "नोटबंदी ने करोड़ों किसानों का जीवन नष्ट कर दिया है. अब उनके पास बीज-खाद खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है लेकिन आज भी मोदी जी हमारे किसानों के दुर्भाग्य का मज़ाक उड़ाते हैं अब उनका कृषि मंत्रालय भी कहता है नोटबंदी से टूटी किसानों की कमर."
वित्तीय मामलों की संसदीय समिति के सदस्य पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा, लेकिन नोटबंदी के नतीजों की बात की. इसके बाद कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यह ख़बर ख़ारिज करते हुए ट्वीट किया, "कुछ मीडिया चैनलों और समाचार पत्रों द्वारा यह ख़बर चलाई जा रही है कि कृषि विभाग ने यह माना है कि किसानों पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा था और किसान कैश की क़िल्लत के कारण बीज नहीं ख़रीद पाए थे. यह वास्तविक तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है."
जाहिर है, नोटबंदी के असर की बहस अभी जारी रहेगी.
नोटबंदी के बाद नगदी की कमी की वजह से ग्रामीण भारत में हताशा के हालात पैदा हुए. ये बात कृषि मंत्रालय ने वित्तीय मामलों की संसदीय समिति को सौंपे एक बैकग्राउंड नोट में मानी है. नोट के मुताबिक बहुत सारे किसान बीज और खाद नहीं खरीद सके. 2016 में रबी की फसल पर इसका बुरा असर पड़ा.
बुधवार को यह खबर अखबारों में छपी तो राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "नोटबंदी ने करोड़ों किसानों का जीवन नष्ट कर दिया है. अब उनके पास बीज-खाद खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है लेकिन आज भी मोदी जी हमारे किसानों के दुर्भाग्य का मज़ाक उड़ाते हैं अब उनका कृषि मंत्रालय भी कहता है नोटबंदी से टूटी किसानों की कमर."
वित्तीय मामलों की संसदीय समिति के सदस्य पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा, लेकिन नोटबंदी के नतीजों की बात की. इसके बाद कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यह ख़बर ख़ारिज करते हुए ट्वीट किया, "कुछ मीडिया चैनलों और समाचार पत्रों द्वारा यह ख़बर चलाई जा रही है कि कृषि विभाग ने यह माना है कि किसानों पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा था और किसान कैश की क़िल्लत के कारण बीज नहीं ख़रीद पाए थे. यह वास्तविक तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है."
जाहिर है, नोटबंदी के असर की बहस अभी जारी रहेगी.