राज्यसभा में बसपा प्रमुख मयावती
नई दिल्ली:
बीजेपी से बर्खास्त किए गए नेता दयाशंकर सिंह के अभद्र बयान के बाद सभी पार्टियों में खलबली मच गई है। जहां एक तरफ़ बीएसपी में उबाल है वहीं सपा साफ़ तौर पर कुछ बोलने से बचती नज़र आई तो बीजेपी और एनडीए के नेता बचाव की मुद्रा में नज़र आए।
गुरुवार को संसद में बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी से निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, "हमने दयाशंकर सिंह के खिलाफ FIR दर्ज़ कराई है। अब हमारी डिमांड है कि दयाशंकर सिंह को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।' जबकि कांग्रेस की सांसद रेणुका चौधरी ने यूपी सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा, "क्या यूपी सरकार इतनी नालायक है कि वो एक नेता को गिरफ्तार नहीं कर सकती है? ये दलितों का साथ अत्याचार है।"
दरअसल बीजेपी के बर्खास्त नेता दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी की मांग गुरुवार को संसद के अंदर और बाहर हर तरफ सुनाई दी। लेकिन बीजेपी और एनडीए के दलित नेता इस सवाल पर डिफेन्सिव नज़र आए। केन्द्रीय मंत्री और आरपीआई के नेता राम दास आठवले ने एनडीटीवी से कहा, "गिरफ्तार किया जाए या नहीं ये फैसला पुलिस को करना है। दयाशंकर सिंह सरेंडर करें या नहीं इसपर मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं।" जबकि बीजेपी के दलित नेता और सांसद उदित राज ने कहा, "दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी पर फैसला यूपी सरकार को करना है। इस पर हम क्या कह सकते हैं, ये फैसला तथ्यों के आधार पर पुलिस को लेना होगा।"
दयाशंकर सिंह के बयान से उठे राजनीतिक विवाद ने बीजेपी और एनडीए के दलित नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वो खुलकर दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी की मांग करने से बचते दिखे। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से मायावति ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया है, सपा नेता भी इस पर बोलने से कतराते दिखे।
समाजवादी पार्टी के बड़े नेता रामगोपाल यादव ने इस मुद्दे पर एनडीटीवी से बात करने से इंकार कर दिया। सपा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा भी खुल कर नहीं बोले। सिर्फ इतना कहा, "पुलिस ने FIR दर्ज़ की है, पुलिस दयाशंकर को खोज रही होगी।" ज़ाहिर है मामला काफी पेचीदा हो चुका है और हर कोई फूंक फूंक कर कदम बढ़ाना चाहता है।
गुरुवार को संसद में बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी से निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, "हमने दयाशंकर सिंह के खिलाफ FIR दर्ज़ कराई है। अब हमारी डिमांड है कि दयाशंकर सिंह को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।' जबकि कांग्रेस की सांसद रेणुका चौधरी ने यूपी सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा, "क्या यूपी सरकार इतनी नालायक है कि वो एक नेता को गिरफ्तार नहीं कर सकती है? ये दलितों का साथ अत्याचार है।"
दरअसल बीजेपी के बर्खास्त नेता दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी की मांग गुरुवार को संसद के अंदर और बाहर हर तरफ सुनाई दी। लेकिन बीजेपी और एनडीए के दलित नेता इस सवाल पर डिफेन्सिव नज़र आए। केन्द्रीय मंत्री और आरपीआई के नेता राम दास आठवले ने एनडीटीवी से कहा, "गिरफ्तार किया जाए या नहीं ये फैसला पुलिस को करना है। दयाशंकर सिंह सरेंडर करें या नहीं इसपर मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं।" जबकि बीजेपी के दलित नेता और सांसद उदित राज ने कहा, "दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी पर फैसला यूपी सरकार को करना है। इस पर हम क्या कह सकते हैं, ये फैसला तथ्यों के आधार पर पुलिस को लेना होगा।"
दयाशंकर सिंह के बयान से उठे राजनीतिक विवाद ने बीजेपी और एनडीए के दलित नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वो खुलकर दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी की मांग करने से बचते दिखे। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से मायावति ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया है, सपा नेता भी इस पर बोलने से कतराते दिखे।
समाजवादी पार्टी के बड़े नेता रामगोपाल यादव ने इस मुद्दे पर एनडीटीवी से बात करने से इंकार कर दिया। सपा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा भी खुल कर नहीं बोले। सिर्फ इतना कहा, "पुलिस ने FIR दर्ज़ की है, पुलिस दयाशंकर को खोज रही होगी।" ज़ाहिर है मामला काफी पेचीदा हो चुका है और हर कोई फूंक फूंक कर कदम बढ़ाना चाहता है।
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