
संसद भवन पिछले कुछ दिनों से हज़ारों बल्बों की रोशनी से नहा रहा है...
- GST लागू करने के लिए आधी रात के अपने समारोह की तैयारी में जुटी सरकार.
- सरकार मानती है कि जीएसटी का जश्न आज़ादी के जश्न से कमतर नहीं है.
- इस कार्यक्रम को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है
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नई दिल्ली:
विपक्ष के ऐतराज़ और कारोबारियों के अंदेशों के बीच केंद्र सरकार जीएसटी लागू करने के लिए आधी रात के अपने समारोह की तैयारी में जुटी है. उसके लिए ये 1947 की आजादी जैसा ही जश्न है. पिछले कुछ दिनों से हज़ारों बल्बों की रोशनी से नहा रहा है संसद भवन. केंद्र सरकार जैसे एक नई आज़ादी का ऐलान करने जा रही हो.
सरकार मानती है कि जीएसटी का जश्न आज़ादी के जश्न से कमतर नहीं है. वैंकेया नायडू ने कहा, 'GST टैक्स को शोषण से आज़ादी है. सभी राजनीतिक दलों, सांसदों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को न्यौता दिया गया है. राष्ट्रपति भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे'.
इस कार्यक्रम को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है. कांग्रेस और आरजेडी ने इस समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं, "मैं उम्मीद करता हूं कि जिन्होंने तय किया है कि वो उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेंगे, वो एक बार पुन: अपनी भूमिका के बारे में विचार करेंगे".
सरकार ने सारे विपक्षी दलों को न्योता भेजा है, लेकिन कांग्रेस सहित कई दल या तो इसका बहिष्कार करेंगे या फिर सांसदों की मर्ज़ी पर छोड़ देंगे. विपक्ष का सबसे बड़ा ऐतराज़ यह भी है कि सरकार इसे आज़ादी के जश्न से जोड़ रही है.
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी कहते हैं, "ये कार्यक्रम किसलिए हो रहा है? GST को लागू करने में दिक्कतें कई सारी हैं. पहले सरकार कमियों को सुधारे... ये सब देश के हित में ही करना है, प्रोपेगेन्डा के लिए नहीं".
जेडी-यू के प्रधान महासचिव कहते हैं, "जहां तक इस कार्यक्रम में जेडी-यू के जाने या ना जाने का प्रश्न है ये उनकी इच्छा पर निर्भर करता है. हमने सांसदों को कोई विप्प जारी नहीं किया है".
सरकारी न्योते में राष्ट्रपति की मौजूदगी में प्रधानमंत्री के जीएसटी लॉन्च करने की बात पर भी कांग्रेस को ऐतराज़ है. अब सबकी नज़र शुक्रवार रात 12 बजे पर है- आयोजन सरकारी भव्यता से दमकेगा या विपक्ष के बहिष्कार से फीका रह जाएगा.
सरकार मानती है कि जीएसटी का जश्न आज़ादी के जश्न से कमतर नहीं है. वैंकेया नायडू ने कहा, 'GST टैक्स को शोषण से आज़ादी है. सभी राजनीतिक दलों, सांसदों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को न्यौता दिया गया है. राष्ट्रपति भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे'.
इस कार्यक्रम को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है. कांग्रेस और आरजेडी ने इस समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं, "मैं उम्मीद करता हूं कि जिन्होंने तय किया है कि वो उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेंगे, वो एक बार पुन: अपनी भूमिका के बारे में विचार करेंगे".
सरकार ने सारे विपक्षी दलों को न्योता भेजा है, लेकिन कांग्रेस सहित कई दल या तो इसका बहिष्कार करेंगे या फिर सांसदों की मर्ज़ी पर छोड़ देंगे. विपक्ष का सबसे बड़ा ऐतराज़ यह भी है कि सरकार इसे आज़ादी के जश्न से जोड़ रही है.
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी कहते हैं, "ये कार्यक्रम किसलिए हो रहा है? GST को लागू करने में दिक्कतें कई सारी हैं. पहले सरकार कमियों को सुधारे... ये सब देश के हित में ही करना है, प्रोपेगेन्डा के लिए नहीं".
जेडी-यू के प्रधान महासचिव कहते हैं, "जहां तक इस कार्यक्रम में जेडी-यू के जाने या ना जाने का प्रश्न है ये उनकी इच्छा पर निर्भर करता है. हमने सांसदों को कोई विप्प जारी नहीं किया है".
सरकारी न्योते में राष्ट्रपति की मौजूदगी में प्रधानमंत्री के जीएसटी लॉन्च करने की बात पर भी कांग्रेस को ऐतराज़ है. अब सबकी नज़र शुक्रवार रात 12 बजे पर है- आयोजन सरकारी भव्यता से दमकेगा या विपक्ष के बहिष्कार से फीका रह जाएगा.
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