राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह तय करने को कहा कि लोगों के कल्याण के लिए क्या जरूरी है. संसद के सेंट्रल हॉल में अपने विदाई भाषण में सांसदों को संबोधित करते हुए कोविंद ने शांति और सद्भाव के मूल्य पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि लोगों को अपने लक्ष्यों को पाने की कोशिश करने के लिए विरोध करने और दबाव बनाने का अधिकार है, लेकिन उनके तरीके गांधीवादी होने चाहिए.
उनकी टिप्पणी ऐसे समय में महत्वपूर्ण हो जाती है, जब कई मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण संसद की कार्यवाही अक्सर बाधित हो रही है. कोविंद ने कहा कि वह हमेशा खुद को बड़े परिवार का हिस्सा मानते हैं, जिसमें सांसद भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी परिवार की तरह कई बार उनके बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें देश के व्यापक हितों के लिए मिलकर काम करना चाहिए. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला राष्ट्रपति कोविंद को विदाई देने के लिए आयोजित इस समारोह में शामिल हुए.
निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी. वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद काबिज होने वाली पहली आदिवासी होंगी. रामनाथ कोविंद ने मुर्मू को बधाई दी और कहा कि उनके मार्गदर्शन से देश को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा.
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे.राष्ट्रपति भवन द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई. बयान के अनुसार, राष्ट्र के नाम संबोधन को आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी चैनलों पर पहले हिंदी तथा उसके बाद अंग्रेजी में प्रसारित किया जाएगा.बयान में कहा गया है कि संबोधन का हिंदी और अंग्रेजी में प्रसारण किये जाने के बाद दूरदर्शन के सभी क्षेत्रीय चैनलों द्वारा इसे क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा.
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