जिस वक्त रूस-यूक्रेन युद्ध ने पश्चिमी दुनिया का ध्रुवीकरण कर डाला था, और उसका असर वैश्विक ईंधन सप्लाई चेन पर होने लगा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर से कहा था, "देश के फ़ायदे के लिए जो भी ज़रूरी, वह करें..."
यह बात डॉ एस जयशंकर ने NDTV के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही.
विदेशमंत्री ने कहा, "हमें सारी दुनिया से संबंध बनाने होंगे, लेकिन जब बात हमारे फ़ायदे पर आ जाए, तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए... अगर मेरे पास कोई रास्ता हो, तो मुझे अपने लोगों को पेट्रो कीमतों में महंगाई झेलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए... प्रधानमंत्री ने कहा था, 'ऐसा स्टैंड लें, जिससे भारत को लाभ हो...' हमने ऐसा ही किया..."
रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल आयात जारी रखने के भारत के फैसले का डॉ जयशंकर बार-बार बचाव करते रहे हैं. उन्होंने सवाल किया था कि जब यूरोप अपनी ज़रूरतों को प्राथमिकता दे सकता है, तो वह भारत से कुछ और फ़ैसला करने की उम्मीद कैसे कर सकता है.
डॉ जयशंकर ने बताया था कि यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र यूरोपीय मुल्कों ने अपनी ईंधन ज़रूरतों के लिए मध्य-पूर्व एशिया के पारंपरिक सप्लायरों की ओर रुख किया था, जिसके फलस्वरूप कीमतों पर दबाव पड़ा.
विदेशमंत्री की एक तीखी टिप्पणी वायरल भी हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलने की ज़रूरत है कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं.
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