'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर' के लिए हुई ऑनलाइन वोटिंग में सबसे आगे रहे पीएम नरेंद्र मोदी

'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर' के लिए हुई ऑनलाइन वोटिंग में सबसे आगे रहे पीएम नरेंद्र मोदी

खास बातें

  • ऑनलाइन डाले गए वोटों में 18 फीसदी मतों के साथ पीएम रहे शीर्ष पर
  • संयुक्त रूप से नंबर 2 पर रहे ओबामा, ट्रंप व असांजे, सात-सात फीसदी मत मिले
  • हिलेरी क्लिंटन को चार और मार्क ज़करबर्ग को दो फीसदी मत मिले
नई दिल्ली:

अमेरिका की प्रसिद्ध पत्रिका 'टाइम' द्वारा हर साल दिए जाने वाले 'पर्सन ऑफ द ईयर' खिताब के लिए हुई ऑनलाइन वोटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर के अलग-अलग क्षेत्रों के सभी जाने-माने दिग्गजों को पछाड़ दिया है. 'टाइम' के मुताबिक, रविवार मध्यरात्रि को वोटिंग बंद हो जाने के बाद नरेंद्र मोदी डाले गए कुल वोटों का 18 फीसदी लेकर सबसे आगे थे, जबकि अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा, अमेरिका के ही नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा विकीलीक्स के विवादास्पद संस्थापक जूलियान असांजे संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे, और तीनों को सात-सात फीसदी 'हां' वाले वोट हासिल हुए.

इन सभी के अलावा दो और जानी-मानी हस्तियां - हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव हारने वाली डेमोक्रेट प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन तथा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग - भी पोल में काफी पिछड गईं, जिन्हें क्रमशः चार तथा दो फीसदी वोट प्राप्त हो पाए.

'टाइम' पत्रिका हर साल उस शख्स को इस खिताब से नवाज़ती है, जिसने उनके हिसाब से पिछले साल में ख़बरों तथा दुनिया को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, भले ही वह अच्छे के लिए हो या बुरे के लिए. पिछले साल यह खिताब जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को दिया गया था. लगातार चौथे साल इस दौड़ में बने रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार ऑनलाइन डाले गए इन वोटों में सबसे आगे रहे हैं.

इस पोल में दावेदार के तौर पर कुल 30 शख्सियतों (और ग्रुपों) को शामिल किया गया था, जिनमें व्हिसलब्लोअरों से लेकर खिलाड़ी और पॉप गायक तक शामिल थे.

हर साल 'टाइम' का संपादक मंडल ही अंतिम निर्णय लेता है कि 'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर' का खिताब किसे दिया जाए, लेकिन वे अपने पाठकों को भी वोट करने का विकल्प देते हैं, जो पत्रिका के मुताबिक खिताब का विजेता तय करने में 'काफी महत्वपूर्ण भूमिका' निभाता है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीने अचानक 500 तथा 1,000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद कर देने की अपनी घोषणा के चलते सुर्खियों में हैं. एक ओर जहां समूचा विपक्ष एकजुट होकर उनके इस कदम को गलत ठहरा रहा है, वहीं जनता भी देशभर में बैंकों और एटीएम के बाहर लगी लंबी-लंबी कतारों के कारण परेशान है, और नकदी के संकट से जूझ रही है. विमुद्रीकरण या नोटबंदी के इस कदम को लेकर जहां काले धन से लड़ने की मंशा के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ हो रही है, वहीं जनता को हो रही परेशानियों से चलते उनकी आलोचनाएं भी थम नहीं रही हैं. (इस मुद्दे पर NDTV.in पर प्रकाशित सभी आलेख एक साथ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...)


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