नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह नियंत्रण रेखा के पार पाक अधिकृत कश्मीर में हुई सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बढ़-बढ़कर तथा बिना अधिकृत किए बोलने के खिलाफ अपने मंत्रियों को चेताया है.
यह जानकारी देते हुए सूत्रों ने कहा कि बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन्हें सर्जिकल स्ट्राइक पर बोलने के लिए अधिकृत किया गया है, सिर्फ वही इस पर बोलेंगे.
दरअसल, पिछले बुधवार को भारतीय सेना नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कन्ट्रोल) के पार गई थी, और उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के सात लॉन्च पैडों को निशाना बनाया था. सेना के मुताबिक, इन हमलों में आतंकवादियों को 'भारी जानी नुकसान' हुआ. पिछले महीने 18 सितंबर को जम्मू एवं कश्मीर के उरी में स्थित सेना कैम्प पर हुए आतंकवादी हमले में 19 जवानों के शहीद हो जाने के बाद ये सर्जिकल स्ट्राइक भारत की ओर से पहली सैन्य कार्रवाई थी.
पाकिस्तान का कहना रहा है कि सर्जिकल हमला कभी हुआ ही नहीं, और वह सिर्फ 'सीमापार से होने वाली गोलीबारी' थी. इसके बाद केंद्र में विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पाकिस्तान के प्रचार को गलत साबित करने के लिए हमलों के सबूत को सरकार द्वारा सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इस सुझाव की केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कड़ी आलोचना की.
वैसे, सेना के सूत्रों ने पुष्टि की है कि हमलों की फुटेज, जिन्हें ड्रोन के ज़रिये टुकड़ों में शूट किया गया था, पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी जा चुकी है.
यह जानकारी देते हुए सूत्रों ने कहा कि बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन्हें सर्जिकल स्ट्राइक पर बोलने के लिए अधिकृत किया गया है, सिर्फ वही इस पर बोलेंगे.
दरअसल, पिछले बुधवार को भारतीय सेना नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कन्ट्रोल) के पार गई थी, और उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के सात लॉन्च पैडों को निशाना बनाया था. सेना के मुताबिक, इन हमलों में आतंकवादियों को 'भारी जानी नुकसान' हुआ. पिछले महीने 18 सितंबर को जम्मू एवं कश्मीर के उरी में स्थित सेना कैम्प पर हुए आतंकवादी हमले में 19 जवानों के शहीद हो जाने के बाद ये सर्जिकल स्ट्राइक भारत की ओर से पहली सैन्य कार्रवाई थी.
पाकिस्तान का कहना रहा है कि सर्जिकल हमला कभी हुआ ही नहीं, और वह सिर्फ 'सीमापार से होने वाली गोलीबारी' थी. इसके बाद केंद्र में विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पाकिस्तान के प्रचार को गलत साबित करने के लिए हमलों के सबूत को सरकार द्वारा सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इस सुझाव की केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कड़ी आलोचना की.
वैसे, सेना के सूत्रों ने पुष्टि की है कि हमलों की फुटेज, जिन्हें ड्रोन के ज़रिये टुकड़ों में शूट किया गया था, पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी जा चुकी है.
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