पीएम मोदी की 'हवाई चप्पल से हवाई जहाज़' तक की योजना मुश्किल में (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
क्षेत्रीय एयरपोर्टों को तैयार करने की धीमी गति की वजह से छोटे-छोटे कस्बों और शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने तथा करोड़ों हवाई यात्री बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना दिक्कतों की चपेट में आ रही है. पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई योजना का उद्देश्य पुरानी और गैर-इस्तेमालशुदा हवाई पट्टियों का पुनरुद्धार करना या नए हवाईअड्डे बनाना था, तथा एयरलाइन कंपनियों को सस्ते किराये की एवज़ में इन कस्बों-शहरों को बड़े शहरों से हवाई मार्ग के ज़रिये जोड़ने पर रियायतें उपलब्ध करवाना था.
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लेकिन दो सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा ढांचे को आधुनिक बनाने तथा नए एयरपोर्टों का निर्माण करने का काम गति पकड़े रहने में नाकाम रहा है, जिससे अगले पांच सालों में 10 करोड़ नए हवाई यात्री बनाने का सरकार का लक्ष्य पटरी से उतर सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (Regional Connectivity Scheme या RCS), जिसे 'उड़ान' (UDAN) नाम से भी जाना जाता है, के तहत सरकार ने वर्ष 2017 के अंत तक 31 नए एयरपोर्टों को चालू कर देने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक उनमें से सिर्फ 16 का ही संचालन शुरू हो पाया है.
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अधिकारियों के अनुसार, कुछ राज्यों का कहना है कि उनके पास फायर इंजनों जैसे अनिवार्य आधारभूत उपकरण तक खरीदने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है. एक अधिकारी ने बताया कि कुछ अन्य मामलों में एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवरों को बनाने तथा बैगेज स्कैनरों तथा सिक्योरिटी सिस्टम से लैस टर्मिनल बिल्डिंगों की स्थापना में लक्ष्य से ज़्यादा वक्त लग रहा है.
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अब सरकार ने इसमें हस्तक्षेप किया है, और अब वह स्वयं उपकरण खरीदकर राज्य सरकारों को लीज़ पर उपलब्ध करवाएगी, ताकि शेष 15 एयरपोर्ट भी जून माह के अंत तक संचालन शुरू कर पाएं.
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लेकिन दो सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा ढांचे को आधुनिक बनाने तथा नए एयरपोर्टों का निर्माण करने का काम गति पकड़े रहने में नाकाम रहा है, जिससे अगले पांच सालों में 10 करोड़ नए हवाई यात्री बनाने का सरकार का लक्ष्य पटरी से उतर सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (Regional Connectivity Scheme या RCS), जिसे 'उड़ान' (UDAN) नाम से भी जाना जाता है, के तहत सरकार ने वर्ष 2017 के अंत तक 31 नए एयरपोर्टों को चालू कर देने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक उनमें से सिर्फ 16 का ही संचालन शुरू हो पाया है.
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अधिकारियों के अनुसार, कुछ राज्यों का कहना है कि उनके पास फायर इंजनों जैसे अनिवार्य आधारभूत उपकरण तक खरीदने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है. एक अधिकारी ने बताया कि कुछ अन्य मामलों में एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवरों को बनाने तथा बैगेज स्कैनरों तथा सिक्योरिटी सिस्टम से लैस टर्मिनल बिल्डिंगों की स्थापना में लक्ष्य से ज़्यादा वक्त लग रहा है.
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अब सरकार ने इसमें हस्तक्षेप किया है, और अब वह स्वयं उपकरण खरीदकर राज्य सरकारों को लीज़ पर उपलब्ध करवाएगी, ताकि शेष 15 एयरपोर्ट भी जून माह के अंत तक संचालन शुरू कर पाएं.
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