
गोरक्षा के नाम पर हिंसा क्यों : पीएम नरेंद्र मोदी ने किया सवाल
- पीएम ने उठाया सवाल- गोरक्षा के नाम पर हिंसा क्यों?
- कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं
- गोसेवा गांधी और विनोबा से सीखें
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भीड़ की हिंसा को गलत बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मरीज की मौत पर अस्पताल को फूंकना गलत है. उस डॉक्टर का कोई दोष नहीं है, जो आपके परिवार के सदस्य की सेवा कर रहा था, लेकिन उस सदस्य को बचा नहीं पाया. लेकिन फिर भी आपको शिकायत है तो कानून है. हिंसा समस्याओं का समाधान नहीं है. हमारा देश अहिंसा और गांधी का देश है.
जो देश चींटी को भी कुछ खिलाने पर विश्वास रखता है, जो देश गली में कुत्ते को भी कुछ खिलाने पर भी विश्वास रखता है उस देश को क्या हो गया है. पीएम मोदी ने एक कहानी के माध्यम से अपनी बात समझाई. उन्होंने कहा कि जब मैं छोटा था तो हमारे घर के पास एक परिवार रहता था. उस परिवार में कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण काफी तनाव का माहौल रहता था. काफी समय बाद उस घर में एक संतान का जन्म हुआ. उस समय एक गाय वहां पर आती थी और रोजाना कुछ खाकर जाती थी. एक बार गाय के पैर के नीचे बच्चा आ गया था, और उसकी मौत हो गई. दूसरे दिन सुबह ही वह गाय उनके घर के सामने खड़ी हो गई, उसने किसी के घर के सामने रोटी नहीं खाई. उस परिवार से भी रोटी नहीं खाई. गाय के आंसू लगातार बह रहे थे. वह गाय कई दिनों तक कुछ नहीं खा-पी सकी. पूरे मोहल्ले के लोगों ने काफी कोशिश की लेकिन गाय ने कुछ नहीं खाया और बाद में अपना शरीर त्याग दिया. एक बच्चे की मौत के पश्चाताप में उस गाय ने ऐसा किया, लेकिन आज लोग गाय के नाम पर ही हत्या कर रहे हैं.
गौरतलब है कि भीड़ द्वारा हत्या को लेकर पीएम मोदी के बयान की काफी लंबे समय से प्रतीक्षा थी. उन्होंने अपने बयान के माध्यम से कानून अपने हाथ में लेने लोगों को कड़ा संदेश दिया है.
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