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This Article is From Aug 09, 2017

पीएम नरेंद्र मोदी ने भाषण में रामवृक्ष बेनीपुरी का उल्लेख किया, क्या आप जानते हैं उन्हें..

भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और आठ साल जेल में गुजारे थे रामवृक्ष बेनीपुरी ने, समाजवादी आंदोलन से भी गहरा जुड़ाव था

पीएम नरेंद्र मोदी ने भाषण में रामवृक्ष बेनीपुरी का उल्लेख किया, क्या आप जानते हैं उन्हें..
पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने भाषण में साहित्यकार रमवृक्ष बेनीपुरी को याद किया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने पर संसद में आयोजित विशेष सत्र में विख्यात साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी और उनके चर्चित निबंध 'जंजीरें और दीवारें' का उल्लेख किया. रामवृक्ष बेनीपुरी ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने जीवन के आठ साल जेल में गुजारे.   

'करो या मरो' का गांधीवादी मंत्र
प्रधानमंत्री ने कहा, देश में उस समय भावनाएं चरम पर थीं. रामवृक्ष बेनीपुरी के एक निबंध 'जंजीरें और दीवारें' में लिखा है कि उस समय देश में एक अद्भुत वातावरण बन गया. हर व्यक्ति नेता बन गया. हर चौराहे और कोने में 'करो या मरो' का नारा गूंजने लगा. हर व्यक्ति ने 'करो या मरो' के गांधीवादी मंत्र को अपने दिल में बसा लिया. ब्रिटिश उपनिवेशवाद भारत से शुरू हुआ, और उसका अंत भी यहीं हुआ, क्योंकि जब हम एक मन से संकल्प करके लक्ष्य में जुट जाते हैं, तो देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं. राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी ने कहा था, जिस तरफ गांधी के कदम पड़ जाते थे, वहां करोड़ों लोग चलने लगते थे. जहां गांधी की दृष्टि पड़ जाती थी, करोड़ों लोग उस ओर देखने लगते थे.

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कॉलेज छोड़कर आंदोलन में जुट गए थे बेनीपुरी
प्रख्यात हिंदी साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसम्बर, 1899 को बाहिर के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गांव में हुआ था. बेनीपुरी ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हिस्सा लिया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 'रौलट एक्ट' के विरोध में 'असहयोग आन्दोलन' प्रारम्भ किया था. तब बेनीपुरीजी ने भी कॉलेज त्याग दिया और स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ गए थे. उन्होंने अनेक बार जेल की सजा भी भोगी. वे अपने जीवन के लगभग आठ वर्ष जेल में रहे. समाजवादी आंदोलन से रामवृक्ष बेनीपुरी का निकट का सम्बन्ध था. 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय जयप्रकाश नारायण के हजारीबाग जेल से भागने में भी रामवृक्ष बेनीपुरी ने उनका साथ दिया और उनके निकट सहयोगी रहे.

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साहित्य में आंदोलनों को जन्म देनी वाली आग
रामधारी सिंह दिनकर ने एक बार बेनीपुरीजी के विषय में कहा था कि- "स्वर्गीय पंडित रामवृक्ष बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी, जो कलम से निकलकर साहित्य बन जाती है. वे उस आग के भी धनी थे, जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ती है और मूल्यों पर प्रहार करती है. जो चिंतन को निर्भीक एवं कर्म को तेज बनाती है. बेनीपुरीजी के भीतर बेचैन कवि, बेचैन चिंतक, बेचैन क्रान्तिकारी और निर्भीक योद्धा सभी एक साथ निवास करते थे."
VIDEO : लोकसभा में पीएम मोदी ने दिया यह भाषण

रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाओं में  उपन्यास - पतितों के देश में, आम्रपाली, कहानी संग्रह - माटी की मूरतें, निबंध - चिता के फूल, लाल तारा, कैदी की पत्नी, गेहूं और गुलाब व जंजीरें और दीवारें, नाटक - सीता का मन, संघमित्रा, अमर ज्योति, तथागत, शकुंतला, रामराज्य, नेत्रदान, गांवों के देवता, नया समाज, विजेता, बैजू मामा शामिल हैं.

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