फोटो क्रेडिट : PIB
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसी राजनीति में विश्वास नहीं रखते जो लोगों को साम्प्रदायिक आधार पर बांटती है और न ही वह कभी साम्प्रदायिक भाषा बोलेंगे। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की राजनीति देश की पहले ही बहुत क्षति कर चुकी है।
शब-ए-बारात के अवसर पर उनसे मिलने आए मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में मोदी ने कहा, ‘बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की सियासत देश का पहले ही बहुत नुकसान कर चुकी है। मैं ऐसी सियासत में यकीन नहीं रखता जो लोगों को साम्प्रदायिक आधार पर बांटती है और न ही मैं कभी साम्प्रदायिक भाषा बोलूंगा।’
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार उन्होंने कहा, ‘रोजगार और विकास सब समस्याओं का समाधान है और वह ऐसा करने पर अपना ध्यान केन्द्रित किए हुए हैं।’ तीस सदस्यीय मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा कि शब-ए-बारात के व्यस्त मौके पर उनका उनसे मुलाकात करने आना बहुत सराहनीय है।
इस प्रतिनिधिमंडल ने कहा, ‘मुस्लिम समुदाय ने वोट बैंक की विध्वंसक राजनीति को नामंजूर कर दिया है और वह विकास में दिलचस्पी रखता है।’ इमाम उमर अहमद इल्यासी की अगुवाई में उनसे मिलने आए इस प्रनिधिमंडल से प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की कौशल विकास पहलों के बारे में बताया और गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राज्य में बालिका शिक्षा और पतंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने पिछले एक साल में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि वे ‘प्रधानमंत्री के साथ विकास और प्रगति के लिए साझेदारी बनाना चाहते हैं।’ मुस्लिम नेताओं ने मुस्लिम युवाओं के बारे में प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण के लिए बधाई दी जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे हाथ में कंप्यूटर।’
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किए जाने में प्रधानमंत्री की पहल के लिए उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे।
मोदी से मिलने आए मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इल्यासी, कौमी मजलिस-ए-शूरा के अध्यक्ष डॉ. ख्वाजा इफ्तेखार अहमद, इस्लामिक काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कारी मोहम्मद मियां मजहरी, मौलाना बिलाल अहमद, मौलाना मुहम्मद यूनुस, मौलाना मुहम्मद हारून, मौलाना नसीरूद्दीन, मौलाना मुहम्मद इकराम, मौलाना बुरहान अहमद कासमी, मौलाना अल्लामा जफर जनकपुरी, मौलाना अयूब अली, मौलाना जाकिर हुसैन, मौलाना अब्दुल मजीद, मौलाना कारी अब्दुल लतीफ, मौलाना इल्यास भरतपुरी, मौलाना लुकमान तारापुरी, डॉ. असगर अली खान, डॉ. असलम परवेज अहमद, प्रोफेसर काजी ओबैद उर रहमान आदि शामिल हैं।
शब-ए-बारात के अवसर पर उनसे मिलने आए मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में मोदी ने कहा, ‘बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की सियासत देश का पहले ही बहुत नुकसान कर चुकी है। मैं ऐसी सियासत में यकीन नहीं रखता जो लोगों को साम्प्रदायिक आधार पर बांटती है और न ही मैं कभी साम्प्रदायिक भाषा बोलूंगा।’
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार उन्होंने कहा, ‘रोजगार और विकास सब समस्याओं का समाधान है और वह ऐसा करने पर अपना ध्यान केन्द्रित किए हुए हैं।’ तीस सदस्यीय मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा कि शब-ए-बारात के व्यस्त मौके पर उनका उनसे मुलाकात करने आना बहुत सराहनीय है।
इस प्रतिनिधिमंडल ने कहा, ‘मुस्लिम समुदाय ने वोट बैंक की विध्वंसक राजनीति को नामंजूर कर दिया है और वह विकास में दिलचस्पी रखता है।’ इमाम उमर अहमद इल्यासी की अगुवाई में उनसे मिलने आए इस प्रनिधिमंडल से प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की कौशल विकास पहलों के बारे में बताया और गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राज्य में बालिका शिक्षा और पतंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने पिछले एक साल में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि वे ‘प्रधानमंत्री के साथ विकास और प्रगति के लिए साझेदारी बनाना चाहते हैं।’ मुस्लिम नेताओं ने मुस्लिम युवाओं के बारे में प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण के लिए बधाई दी जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे हाथ में कंप्यूटर।’
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किए जाने में प्रधानमंत्री की पहल के लिए उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे।
मोदी से मिलने आए मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इल्यासी, कौमी मजलिस-ए-शूरा के अध्यक्ष डॉ. ख्वाजा इफ्तेखार अहमद, इस्लामिक काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कारी मोहम्मद मियां मजहरी, मौलाना बिलाल अहमद, मौलाना मुहम्मद यूनुस, मौलाना मुहम्मद हारून, मौलाना नसीरूद्दीन, मौलाना मुहम्मद इकराम, मौलाना बुरहान अहमद कासमी, मौलाना अल्लामा जफर जनकपुरी, मौलाना अयूब अली, मौलाना जाकिर हुसैन, मौलाना अब्दुल मजीद, मौलाना कारी अब्दुल लतीफ, मौलाना इल्यास भरतपुरी, मौलाना लुकमान तारापुरी, डॉ. असगर अली खान, डॉ. असलम परवेज अहमद, प्रोफेसर काजी ओबैद उर रहमान आदि शामिल हैं।
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