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This Article is From Nov 06, 2018

राहुल का हमला, प्रधानमंत्री को आर्थिक अव्यवस्था ठीक करने के लिए RBI से चाहिए इतने रुपये...

एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है.

राहुल का हमला, प्रधानमंत्री को आर्थिक अव्यवस्था ठीक करने के लिए RBI से चाहिए इतने रुपये...
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम मोदी पर हमला बोला है. राहुल गांधी ने एक मीडिया रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री को अपने विलक्षण आर्थिक सिद्धांतों के कारण फैली अव्यवस्था' को ठीक करने के लिए अब रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की बड़ी राशि की जरूरत पड़ गई है. एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है.

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कांग्रेस अध्यक्ष ने रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से भी कहा है कि वह प्रधानमंत्री के समक्ष डटकर खड़े हों और 'देश की रक्षा करें.' राहुल गांधी के आरोपों पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. कांग्रेस अध्यक्ष ने मीडिया में प्रकाशित खबर को पोस्ट कर उसके साथ ट्वीट किया है, '36,00,00,00,00,000 रुपये. यह वह राशि है जो प्रधानमंत्री को अपने विलक्षण आर्थिक सिद्धांत से फैली अव्यवस्था को ठीक करने के लिए आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) से चाहिए. पटेल जी आप उनके सामने डट कर खड़े हों. देश को बचाएं.'
 
खबर में दावा किया गया है कि आरबीआई-सरकार के बीच गतिरोध वित्त मंत्रालय के उस प्रस्ताव को लेकर पैदा हुआ है जिसमें सरकार रिजर्व बैंक की बचत से 3.6 लाख करोड़ रुपये लेना चाहती है जो केंद्रीय बैंक की 9.59 लाख करोड़ रुपये की आरक्षित राशि के एक तिहाई से अधिक है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी दबंगयी की नीति से सस्थाओं को बर्बाद कर रही है.

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आरबीआई के एक डिप्टी गवर्नर द्वारा केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर चिंता जताये जाने के बाद मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद पिछले दिनों सार्वजनिक हो गए हैं. डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें अपने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं उन्हें देर सबेर 'बाजारों के आक्रोश' का सामना करना पड़ता है. इसके जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई अधिनियम के तहत केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता आवश्यक है और इसे अच्छे संचालन के लिए अनिवार्य आवश्यकता के रूप में स्वीकार किया गया है. सरकार और केंद्रीय बैंक- दोनों को ही सार्वजनिक हित में और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरत को ध्यान में रख कर काम करना चाहिए.

(इनपुट: भाषा)
 

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