नई दिल्ली:
दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को शानदार शहरों का सपना दिखाया। इरादा शहरों को सुधारने और बिजली-पानी सहित बुनियादी सुविधाओं का इंतज़ाम करने का है।
गुरुवार को प्रधानमंत्री ने शहरों के विकास और शहरी गरीबों के उत्थान के लिए तीन बड़ी योजनाएं लॉन्च कीं : स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 चुने हुए शहरों में हाई-टेक बुनियादी सुविधाएं और ई-गवर्नेंस की व्यवस्था मुहैया करायी जाएंगी; अटल शहरी नवीकरण अभियान के तहत एक लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहरों में पानी, बिजली, साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी; और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों के लिए 2 करोड़ घर बनाए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने स्मार्ट सिटी लॉन्च करते हुए इस मिशन के तहत चुने जाने वाले शहरों के चयन की प्रक्रिया का भी ऐलान किया। इस मौके पर 500 नगर-निकायों के नुमाइंदों से लेकर कई राज्यों के शहरी विकास मंत्री भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री ने प्राइवेट डेवलपर्स की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, 'जो प्राइवेट प्रॉपर्टी डेवलपर हैं, उनको तो पता होता है कि शहर इतना बढ़ेगा, इस दिशा में बढ़ेगा फिर वो वहां जमीन ले लेगा, योजनाएं डाल देगा। मकान तो खड़े कर देगा लेकिन जिंदगी जीने योग्य व्यवस्था पहुंचती नहीं है। न रोड बनता है, न बिजली पहुंचती है, न ड्रेनेज की व्यवस्था होती है। लोग आते हैं, पैसे देकर मकान भी लेते हैं। बाकी व्यवस्था होती नहीं क्यों...ये जो मिसमैच है उस मिसमैच को बदलना है।'
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बिल्डर लॉबी का भी सवाल उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा, ये सरकार उपभोक्ताओं की सुरक्षा इस पर सजग है। संसद में एक बिल already हमारा लाया हुआ है, इस अवसर पर चर्चा होगी हमारी। वरना हमारे देश में चाहे अनचाहे ये जो बिल्डर लॉबी है उनकी छवि काफी गिरी हुई है और गरीब आदमी अपनी जिंदगी का पूरा पैसा उसमें लगाता है यानी उसके जीवन की वो एक ही घटना होती है और फिर जब वो लुट जाता है तो उसका तो सब लुट जाता है। ये छोटे-छोटे गरीब ग्राहक की सुरक्षा के लिए संसद में कानून लाया गया है। ये आने वाले सत्र में पारित होगा, तो हम विकास चाहते हैं, घर को जोड़ना भी चाहते हैं लेकिन साथ-साथ हम सामान्य नागरिकों की आवश्यकताओं की पूर्ति पर ध्यान देना चाहते हैं।
हालांकि कांग्रेस ने इस पूरी योजना को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। यूपीए सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे अजय माकन ने कहा कि इन योजनाओं से शहरों का विकास संभव नहीं है।
दरअसल असली सवाल ये है कि इन तमाम योजनाओं के लिए जो पैसा चाहिए, वो कहां से आएगा। गोवा के उपमुख्यमंत्री फ्रांसिस डीसूज़ा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'ये मुश्किल रहेगा कि फाइनेन्स कैसे जेनेरेट हो...टैक्स इकट्ठा करना एक चैलेंज रहेगा।' सवाल स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों में अधिकारियों की ट्रेनिंग को लेकर भी उठ रहे हैं।
जानकार मानते हैं कि स्मार्ट सिटी मिशन को सफल बनाने के लिए ये बेहद ज़रूरी होगा कि बड़े स्तर पर फंड इकट्ठा किया जाए। मौजूदा परिस्थिति में कई राज्यों की खस्ता वित्तिय हालत को देखते हुए उनके लिए फंड इकट्ठा करना मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है।
गुरुवार को प्रधानमंत्री ने शहरों के विकास और शहरी गरीबों के उत्थान के लिए तीन बड़ी योजनाएं लॉन्च कीं : स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 चुने हुए शहरों में हाई-टेक बुनियादी सुविधाएं और ई-गवर्नेंस की व्यवस्था मुहैया करायी जाएंगी; अटल शहरी नवीकरण अभियान के तहत एक लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहरों में पानी, बिजली, साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी; और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों के लिए 2 करोड़ घर बनाए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने स्मार्ट सिटी लॉन्च करते हुए इस मिशन के तहत चुने जाने वाले शहरों के चयन की प्रक्रिया का भी ऐलान किया। इस मौके पर 500 नगर-निकायों के नुमाइंदों से लेकर कई राज्यों के शहरी विकास मंत्री भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री ने प्राइवेट डेवलपर्स की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, 'जो प्राइवेट प्रॉपर्टी डेवलपर हैं, उनको तो पता होता है कि शहर इतना बढ़ेगा, इस दिशा में बढ़ेगा फिर वो वहां जमीन ले लेगा, योजनाएं डाल देगा। मकान तो खड़े कर देगा लेकिन जिंदगी जीने योग्य व्यवस्था पहुंचती नहीं है। न रोड बनता है, न बिजली पहुंचती है, न ड्रेनेज की व्यवस्था होती है। लोग आते हैं, पैसे देकर मकान भी लेते हैं। बाकी व्यवस्था होती नहीं क्यों...ये जो मिसमैच है उस मिसमैच को बदलना है।'
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बिल्डर लॉबी का भी सवाल उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा, ये सरकार उपभोक्ताओं की सुरक्षा इस पर सजग है। संसद में एक बिल already हमारा लाया हुआ है, इस अवसर पर चर्चा होगी हमारी। वरना हमारे देश में चाहे अनचाहे ये जो बिल्डर लॉबी है उनकी छवि काफी गिरी हुई है और गरीब आदमी अपनी जिंदगी का पूरा पैसा उसमें लगाता है यानी उसके जीवन की वो एक ही घटना होती है और फिर जब वो लुट जाता है तो उसका तो सब लुट जाता है। ये छोटे-छोटे गरीब ग्राहक की सुरक्षा के लिए संसद में कानून लाया गया है। ये आने वाले सत्र में पारित होगा, तो हम विकास चाहते हैं, घर को जोड़ना भी चाहते हैं लेकिन साथ-साथ हम सामान्य नागरिकों की आवश्यकताओं की पूर्ति पर ध्यान देना चाहते हैं।
हालांकि कांग्रेस ने इस पूरी योजना को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। यूपीए सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे अजय माकन ने कहा कि इन योजनाओं से शहरों का विकास संभव नहीं है।
दरअसल असली सवाल ये है कि इन तमाम योजनाओं के लिए जो पैसा चाहिए, वो कहां से आएगा। गोवा के उपमुख्यमंत्री फ्रांसिस डीसूज़ा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'ये मुश्किल रहेगा कि फाइनेन्स कैसे जेनेरेट हो...टैक्स इकट्ठा करना एक चैलेंज रहेगा।' सवाल स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों में अधिकारियों की ट्रेनिंग को लेकर भी उठ रहे हैं।
जानकार मानते हैं कि स्मार्ट सिटी मिशन को सफल बनाने के लिए ये बेहद ज़रूरी होगा कि बड़े स्तर पर फंड इकट्ठा किया जाए। मौजूदा परिस्थिति में कई राज्यों की खस्ता वित्तिय हालत को देखते हुए उनके लिए फंड इकट्ठा करना मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है।
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