राजनीतिक रूप से एक अहम कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की 125वीं जयंती मनाने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति का पुनर्गठन किया। इस समिति के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, लेकिन पुनर्गठन के बाद अब मोदी इसकी अध्यक्षता करेंगे।
बहरहाल, इस समिति में गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और करण सिंह सरीखे कांग्रेस के नेताओं को जगह दी गई है, लेकिन गांधी परिवार का एक भी शख्स इसमें शामिल नहीं किया गया।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, भारत के पहले प्रधानमंत्री की 125वीं जयंती मनाने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक दिवाली के बाद जल्द ही होगी। नेहरु की 125वीं जयंती इस साल 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
पुनर्गठित समिति में मोदी अध्यक्ष हैं, जबकि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, वित्तमंत्री अरुण जेटली, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और संस्कृति मंत्री श्रीपद येसो नाईक पदेन सदस्य बनाए गए हैं।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे समिति के सदस्य होंगे। इनके अलावा, मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव, सिक्किम के पूर्व राज्यपाल बी पी सिंह, पूर्व विदेश सचिव एमके रसगोत्रा और लोकसभा के पूर्व सचिव सुभाष कश्यप भी समिति के सदस्य बनाए गए हैं।
नेहरु-गांधी परिवार के करीब माने जाने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता करण सिंह और सुमन दुबे भी पूर्व कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा के साथ समिति के सदस्य नियुक्त किए गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा, स्वप्न दासगुप्ता और एमजे अकबर भी समिति के सदस्य बनाए गए हैं।
पिछली यूपीए सरकार ने इस समिति का गठन किया था और तब मनमोहन सिंह समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी, तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, तत्कालीन कानून मंत्री कपिल सिब्बल सहित कई विद्वान एवं जानेमाने शिक्षाविद् इस समिति के सदस्य बनाए गए थे।
समिति का गठन इस मकसद से किया गया था कि आधुनिक भारत के निर्माता माने जाने वाले नेहरु को श्रद्धांजलि के तौर पर उनकी 125वीं जयंती भव्य तरीके से मनाई जाए।
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