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...जब पीएम मोदी ने शुभांशु से पूछा, स्पेस स्टेशन पर साथियों को गाजर हलवा खिलाया कि नहीं

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला से बातचीत में पीएम मोदी ने हंसी-मजाक भी किया. कई सवालों पर दोनों ने ठहाके भी लगाए.

...जब पीएम मोदी ने शुभांशु से पूछा, स्पेस स्टेशन पर साथियों को गाजर हलवा खिलाया कि नहीं
  • पीएम मोदी ने अंतरिक्ष में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से बात की.
  • पीएम ने शुभांशु से पूछा कि साथी अंतरिक्ष यात्रियों को गाजर हलवा खिलाया कि नहीं.
  • शुभांशु ने बताया कि जीरो ग्रेविटी के कारण बातचीत के दौरान उन्हें पैर बांधने पड़े हैं.
  • शुभांशु ने बताया कि स्पेस स्टेशन पर वे 28,000 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहे हैं.
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नई दिल्ली:

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला से बातचीत में पीएम मोदी ने हंसी-मजाक भी किया. उन्होंने शुभांशु से पूछा कि आप जो गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा, आम रस लेकर गए हैं, वो अपने साथियों को खिलाया या नहीं? 

इस पर शुभांशु ने जवाब में कहा कि बिल्कुल मैं अपने साथ भारत की कुछ चीजें भी लेकर आया हूं. मैं चाहता था कि बाकी देशों से आए मेरे साथी भी इसका स्वाद लें, भारतीय खान-पान की समृद्ध परंपरा का आनंद लें. मैं जो चीजें लेकर आया था, उसका सभी ने बैठकर स्वाद लिया और सबको बहुत पसंद आया. 

पीएम मोदी के एक सवाल पर शुभांशु ने बताया कि इस वक्त जब वह बातचीत कर रहे हैं तो उनके पैर बंधे हुए हैं. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि अंतरिक्ष में जीरो ग्रेविटी होती है जिसके कारण किसी व्‍यक्ति के लिए एक जगह टिक पाना संभव नहीं है. यही वजह है कि बातचीत के दौरान उनके पैर बांधे गए हैं. उन्होंने जब प्रधानमंत्री मोदी को अपने पैर बंधे होने के बारे में बताया तो वो भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए.

पीएम मोदी ने शुभांशु से कहा कि आपको पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है. इस वक्त आप पृथ्वी के किस हिस्से से गुजर रहे हैं? इस पर शुभांशु ने कहा कि थोड़ी देर पहले जब मैं खिड़की से बाहर देख रहा था तो हम हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे. हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं. 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं. ये बहुत ही अचंभित करने वाला है. 

शुभांशु ने बताया कि हम जिस वक्त बातचीत कर रहे हैं, उस वक्त हम 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं. स्पेस स्टेशन के अंदर ये गति पता नहीं चलती लेकिन ये कहीं न कहीं इस बात का भी संकेत है कि हमारा देश किस तेज गति से आगे बढ़ रहा है. हम यहां तक तो पहुंच गए हैं, हमें और भी आगे जाना है. 
 

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