देश के 68वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग को समाप्त करने का ऐलान किया और विपक्ष को साथ लेकर चलने के आह्वान के साथ ही जातिगत एवं सांप्रदायिक हिंसा पर रोक की हिमायत की।
सत्ता में आने के तीन माह से भी कम समय के भीतर मोदी ने विकास और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नए विचारों की इबारत लिखते हुए कहा कि भारत को वैश्विक निर्माण का आधार बनना चाहिए।
देश के सवा सौ करोड़ लोगों के दिन बदलने के इरादे के साथ मोदी ने 'जन धन योजना' का ऐलान किया, जिसमें प्रत्येक गरीब को बैंक खाते की सुविधा देने के साथ ही जीवन बीमा का संरक्षण प्रदान करने का भी वचन दिया गया।
सांसदों को अधिक जिम्मेदार बनाने के इरादे से प्रधानमंत्री ने 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' का ऐलान किया, जिसमें प्रत्येक संसद सदस्य हर वर्ष एक गांव का जिम्मा लेकर उसका विकास करेंगे। हिन्दी में अपने 65 मिनट के भावपूर्ण धाराप्रवाह संबोधन में मोदी ने बलात्कार से लेकर नक्सली हिंसा, गरीबी से लेकर भ्रष्टाचार और आर्थिक निर्माण से लेकर निवेश तक के तमाम सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को छुआ और इस दौरान खुद को देश के 'प्रधान सेवक' के रूप में पेश किया।
उन्होंने बलात्कार और भ्रूण हत्या की बढ़ती घटनाओं को शर्मनाक बताया और परिवार से लेकर समाज और अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धा में लड़कियों की महती भूमिका को रेखांकित किया। आर्थिक मोर्चे पर मोदी ने कहा कि योजना आयोग 64 वर्ष पुरानी संस्था है, जिसके स्थान पर एक नए संस्थान की स्थापना की जाएगी, जिसमें देश और विदेश के बदले हुए आर्थिक हालात को ध्यान में रखा जाएगा।
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