राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में रिहायशी इलाकों में कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रही है. ताजा मामला बुराड़ी इलाके का है, जहां पिटबुल प्रजाति के कुत्ते ने एक डेढ़ साल की बच्ची को दादा की गोद से छीनकर बुरी तरह से काट लिया. बच्ची के पैर में तीन फ्रैक्चर हुए, साथ ही कई जगहों पर टांके भी लगे. गनीमत रही कि कुछ लोग वहां मौजूद थे जिन्होंने बड़ी मुश्किल से बच्ची को कुत्ते के जबड़े से छुड़ाया.
बुराड़ी इलाके की उत्तराखंड कॉलोनी में घटी इस घटना का CCTV फुटेज भी सामने आया है. घटना 2 जनवरी की है, पिटबुल के जानलेवा हमले में बच्ची बुरी तरह से घायल हो गई. वो 17 दिनों तक अस्पताल में रही, तीन जगहों से हड्डी टूटने के अलावा उसे 18 टांके भी आए. इसके बाद से इलाके के लोग दहशत में हैं.
परिजनों का कहना है कि इस मामले की जानकारी बुराड़ी थाना पुलिस को भी दी गई, सीसीटीवी फुटेज भी दिखाया गया, बावजूद इसके पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. उनका आरोप है कि पुलिस ने उन्हें मामला दर्ज कराने की बजाय कंप्रोमाइज करने के लिए दबाव बनाया. अभी तक इस बाबत ना तो पिटबुल कुत्ते को यहां से हटाया गया और ना ही उसके मालिक पर कोई कार्रवाई की गई.
कुत्तों के हमले से लोगों से दशहत
उन्होंने कहा कि केवल एक ही नहीं, बल्कि इलाके में कई अन्य स्ट्रीट डॉग भी हैं, जिससे लोग दहशत में हैं. ये पहले भी कई लोगों को अपना शिकार बन चुके हैं. इसी परिवार के तीन लोगों को कुत्तों ने काटा है. कुत्तों का आतंक इस कदर है कि लोग अपने घर से बाहर निकलते हुए भी डर रहे हैं. अकेले बच्चों को बाहर निकलने नहीं देते.
लगातार बढ़ रहे हैं कुत्तों के हमले
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में स्ट्रीट डॉग्स की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. कुत्ते पहले भी कई लोगों को काट चुके हैं. उनकी मांग है कि संबंधित विभाग इस इलाके से कुत्तों को हटाए. पुलिस को शिकायत देने के बावजूद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. लोगों ने कहा कि अब उन्हें अपने घर से बाहर निकलते हुए भी डर लगता है. ये कुत्ते कभी भी किसी पर भी हमला कर सकते हैं.
रोहिणी सेक्टर 25 इलाके में 16 जनवरी को भी एक सात साल की बच्ची पर पड़ोसी के कुत्ते ने कथित तौर पर हमला कर दिया था, जिसमें बच्ची को 15 से ज्यादा जगहों पर चोटें आईं थीं.
पत्र के मुताबिक, ''ये कोई एकमात्र घटना नहीं है. अगर दिल्ली में पिटबुल और इसी तरह की नस्लों के पालन और प्रजनन पर रोक लगाने के लिए नीति लाई जाती है तो ये कुत्तों के साथ-साथ लोगों को भी नुकसान से बचाने में मदद करेगी.''
कुत्तों की कुछ नस्लों का 'अवैध लड़ाई' में किया जाता है इस्तेमाल
पशु अधिकार समूह ने कहा कि पिट बुल टेरियर्स, अमेरिकन बुली और पाकिस्तानी बुली जैसे कुत्तों की नस्ल को आमतौर पर 'अवैध लड़ाई' में इस्तेमाल किया जाता है और सुरक्षा के मद्देनजर इन्हें भारी जंजीरों में बांध कर रखा जाता है.
पेटा ने इस समस्या को दूर करने के लिए उपायों की सिफारिश करते हुए सुझाव दिया कि कुत्तों की अवैध बिक्री को रोकने के लिए अपंजीकृत पालतू जानवरों की दुकानों और इस तरह के कुत्तों को पालने वालों पर कार्रवाई आवश्यक है. पेटा ने गली-सोसायटी के कुत्तों को गोद लेने के लिए सरकार से समर्थन देने की मांग की.
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