नई दिल्ली:
दिल्ली में बढ़ते रोडरेज के मामले अब दिल्ली हाइकोर्ट पहुंच गए हैं। ऐसे मामलों के लिए सख्त कानूनी प्रावधान लेकर हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है। हाई कोर्ट ने रोडरेज मामले में पहले से पेंडिंग मामले में इस याचिका को जोड़ दिया है। इससे पहले हाइकोर्ट रोडरेज पर कड़ी टिप्पणियां कर चुका है।
दरअसल एडवोकेट अभिषेक चौधरी और हर्ष आहूजा की ओर से इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को पार्टी बनाया है। याचिका में कहा गया है कि सड़क पर चलने वाले बाइक सवार से लेकर पैदल यात्रियों में मामूली बातों को लेकर लड़ाई होती है और कई बार नतीजा गंभीर हो जाता है। कई बार लोगों की मौत तक हो जाती है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि हाल में कई ऐसी वारदात देखने को मिली है। याचिका में कहा गया है कि 16 मई को एक सब इंस्पेक्टर को महिला ने तब पीटा जब टैक्सी ड्राइवर के साथ लड़ रही महिला के मामले में उसने दखल देने की कोशिश की थी। 11 मई को ट्रैफिक पुलिस ने ईंट से महिला पर कथित तौर पर अटैक किया था। वहीं 10 मई को डीटीसी ड्राइवर के साथ बाइक सवार ने मारपीट की थी और डीटीसी ड्राइवर की मौत हो गई।
ऐसी कई वारदात का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि हाल के दिनों में इस तरह की वारदातों में काफी इजाफा हुआ है। मीडिया की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि जनवरी से लेकर नवंबर 2014 तक रोड रेज के 93 मामले हो चुके हैं। वहीं 2013 में 53 मामले जबकि 2012 में 49 केस सामने आए हैं। वहीं 2011 में 34 केस दर्ज किए गए थे।
याचिका में मांग की गई है कि रोड रेज से संबंधित मामले में सख्त कानून बनाए जाने का निर्देश दिया जाना चाहिए। साथ ही एमवी एक्ट में भी संशोधन कर रोडरेज के आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान किए जाने की जरूरत है। मीडिया के जरिये इस बात का प्रचार किया जाए कि रोडरेज का परिणाम क्या हो सकता है। याचिकाकर्ता ने यह भी गुहार लगाई है कि तमाम लाल बत्ती पर सीसीटीवी लगे होने चाहिए।
दरअसल एडवोकेट अभिषेक चौधरी और हर्ष आहूजा की ओर से इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को पार्टी बनाया है। याचिका में कहा गया है कि सड़क पर चलने वाले बाइक सवार से लेकर पैदल यात्रियों में मामूली बातों को लेकर लड़ाई होती है और कई बार नतीजा गंभीर हो जाता है। कई बार लोगों की मौत तक हो जाती है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि हाल में कई ऐसी वारदात देखने को मिली है। याचिका में कहा गया है कि 16 मई को एक सब इंस्पेक्टर को महिला ने तब पीटा जब टैक्सी ड्राइवर के साथ लड़ रही महिला के मामले में उसने दखल देने की कोशिश की थी। 11 मई को ट्रैफिक पुलिस ने ईंट से महिला पर कथित तौर पर अटैक किया था। वहीं 10 मई को डीटीसी ड्राइवर के साथ बाइक सवार ने मारपीट की थी और डीटीसी ड्राइवर की मौत हो गई।
ऐसी कई वारदात का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि हाल के दिनों में इस तरह की वारदातों में काफी इजाफा हुआ है। मीडिया की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि जनवरी से लेकर नवंबर 2014 तक रोड रेज के 93 मामले हो चुके हैं। वहीं 2013 में 53 मामले जबकि 2012 में 49 केस सामने आए हैं। वहीं 2011 में 34 केस दर्ज किए गए थे।
याचिका में मांग की गई है कि रोड रेज से संबंधित मामले में सख्त कानून बनाए जाने का निर्देश दिया जाना चाहिए। साथ ही एमवी एक्ट में भी संशोधन कर रोडरेज के आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान किए जाने की जरूरत है। मीडिया के जरिये इस बात का प्रचार किया जाए कि रोडरेज का परिणाम क्या हो सकता है। याचिकाकर्ता ने यह भी गुहार लगाई है कि तमाम लाल बत्ती पर सीसीटीवी लगे होने चाहिए।
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