प्रतीकात्मक फोटो
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पैलेट गन पर पाबंदी लगाने से इनकार करने के बाद सुरक्षाबलों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि उनका कहना है कि पावा शेल (मिर्ची के गोले) से भीड़ काबू में नहीं आ रही है.
पावा शेल कारगर नहीं : सुरक्षा बल
पैलेट गन की जगह पावा शेल के इस्तेमाल का केंद्रीय गृह मंत्रालय का सुझाव सुरक्षा बलों को रास नहीं आ रहा था
इसलिए जम्मू-हाइकोर्ट के फैसले से सुरक्षाबलों ने राहत की सांस ली है. सुरक्षाबलों के मुताबिक, ये पावा शेल भीड़ पर काबू पाने के लिहाज से बहुत कारगर नहीं हैं.
एनडीटीवी ने घाटी में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सुरक्षाकर्मियों से बात की, जिनका कहना है कि वे पावा शेल में बदलाव चाहते हैं. उन्होंने बताया पावा शेल से गैस बहुत आहिस्ता निकलती है. भीड़ इस शेल को गीले कपड़े से उठाकर वापस सुरक्षा बलों की और फेंक देती है इसीलिए मंत्रालय को लिखा गया है कि आगे ऐसे शेल बनाए जाएं जिनसे गैस जल्दी निकले. उसका नोजेल मेटल का है इसीलिए उसे जल्दी खोलकर फेंकना बहुत कठिन है. गृह मंत्रालय को कहा गया है कि सॉफ़्ट नोजेल वाले शेल भेजे जाए.
सीआरपीएफ 161 बटालियन के कमांडेंट राजेश यादव ने बताया कि यहां जो भीड़ जमा होती है वह आम भीड़ नहीं होती. यह बहुत हिंसक होती है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं कि भीड़ में आतंकवादी होते हैं और कई बार सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंके गए हैं. ऐसे में भीड़ को काबू पाने के लिए पैलेट गन बहुत कामयाब है.
पैलेट से भीड़ भी डरती है - सुरक्षा बल
वैसे पिछले तीन महीने में घाटी में हिंसा की 3000 वारदातें हुई हैं. सुरक्षा बलों ने भीड़ पर क़ाबू पाने के लिए हर जतन किए हैं, लेकिन कमायाब नहीं हो पा रहे हैं. ग्राउंड पर तैनात जवानों का कहना है कि पैलेट गन से भीड़ थोड़ा डरती भी है.
एक सीआरपीएफ जवान ने बताया कि पावा इस्तेमाल तो हो रहा है लेकिन उससे भीड़ क़ाबू में नहीं आती हालांकि हम बहुत कायदे से कार्रवाई करते हैं, जब हम बिल्कुल घिर जाते हैं तभी पैलेट का इस्तेमाल करते है.
ईदगाह में तैनात दूसरे सुरक्षाकर्मी के मुताबिक, घाटी में सुरक्षाबलों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पैलेट कामयाब है.
वहीं राज्य सरकार के मुताबिक, हिंसक भीड़ ने पिछले दिनों 38 सरकारी इमारतों में आग लग दी है और 52 को बुरी तरह से नुक़सान पहुंचाया है.
पावा शेल कारगर नहीं : सुरक्षा बल
पैलेट गन की जगह पावा शेल के इस्तेमाल का केंद्रीय गृह मंत्रालय का सुझाव सुरक्षा बलों को रास नहीं आ रहा था
इसलिए जम्मू-हाइकोर्ट के फैसले से सुरक्षाबलों ने राहत की सांस ली है. सुरक्षाबलों के मुताबिक, ये पावा शेल भीड़ पर काबू पाने के लिहाज से बहुत कारगर नहीं हैं.
एनडीटीवी ने घाटी में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सुरक्षाकर्मियों से बात की, जिनका कहना है कि वे पावा शेल में बदलाव चाहते हैं. उन्होंने बताया पावा शेल से गैस बहुत आहिस्ता निकलती है. भीड़ इस शेल को गीले कपड़े से उठाकर वापस सुरक्षा बलों की और फेंक देती है इसीलिए मंत्रालय को लिखा गया है कि आगे ऐसे शेल बनाए जाएं जिनसे गैस जल्दी निकले. उसका नोजेल मेटल का है इसीलिए उसे जल्दी खोलकर फेंकना बहुत कठिन है. गृह मंत्रालय को कहा गया है कि सॉफ़्ट नोजेल वाले शेल भेजे जाए.
सीआरपीएफ 161 बटालियन के कमांडेंट राजेश यादव ने बताया कि यहां जो भीड़ जमा होती है वह आम भीड़ नहीं होती. यह बहुत हिंसक होती है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं कि भीड़ में आतंकवादी होते हैं और कई बार सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंके गए हैं. ऐसे में भीड़ को काबू पाने के लिए पैलेट गन बहुत कामयाब है.
पैलेट से भीड़ भी डरती है - सुरक्षा बल
वैसे पिछले तीन महीने में घाटी में हिंसा की 3000 वारदातें हुई हैं. सुरक्षा बलों ने भीड़ पर क़ाबू पाने के लिए हर जतन किए हैं, लेकिन कमायाब नहीं हो पा रहे हैं. ग्राउंड पर तैनात जवानों का कहना है कि पैलेट गन से भीड़ थोड़ा डरती भी है.
एक सीआरपीएफ जवान ने बताया कि पावा इस्तेमाल तो हो रहा है लेकिन उससे भीड़ क़ाबू में नहीं आती हालांकि हम बहुत कायदे से कार्रवाई करते हैं, जब हम बिल्कुल घिर जाते हैं तभी पैलेट का इस्तेमाल करते है.
ईदगाह में तैनात दूसरे सुरक्षाकर्मी के मुताबिक, घाटी में सुरक्षाबलों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पैलेट कामयाब है.
वहीं राज्य सरकार के मुताबिक, हिंसक भीड़ ने पिछले दिनों 38 सरकारी इमारतों में आग लग दी है और 52 को बुरी तरह से नुक़सान पहुंचाया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं