फोटो- सर्च ऑपरेशन को अंजाम देते सुरक्षाबलों के जवान।
नई दिल्ली:
पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले का पाक कनेक्शन सामने आया है। इस हमले की साजिश पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में रची गई थी, जो दिसंबर के पहले हफ्ते में हुई थी। उच्च ख़ुफ़िया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में बैठक में जैश, लश्कर, हिज्बुल के आतंकी शामिल थे।
ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के बहावलपुर के अल रहमत ट्रस्ट पर इन आतंकियों को मदद देने का शक है। इस ट्रस्ट के मुखियाओं के नाम अशफाक अहमद और अब्दुल शकुर हैं।
सूत्रों ने बताया, अल रहमत ट्रस्ट आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संचालन केंद्र है। इसका गठन जैश-ए-मोहम्मद को सहायता देने के लिए किया गया है। पाकिस्तान में साल 2002 में जैश पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, उसने अपने ऑपरेशन चलाने के लिए अल रहमत ट्रस्ट को मुखौटा संगठन बना लिया।
सेना से जुड़े खुफिया सूत्र बताते हैं कि हमले से पहले आतंकवादियों ने पाकिस्तान में अपने आकाओं अशफाक़ अहमद और अब्दुल शकूर से बातचीत की थी। बातचीत में उनका लहजा पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब का था। ख़ास बात यह है कि इस हमले में जैश के ही मुखौटा संगठन अल रहमत का हाथ है। यह ट्रस्ट अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तीय और ढांचागत सहायता मुहैया करवाता है। साल 2002 में जैश पर प्रतिबंध के बाद इसका गठन किया गया था। यह ट्रस्ट आतंकवादियों के परिवारों के लिए लोगों से पैसा भी इकट्ठा करता है।
साथ ही पाकिस्तान की मस्ज़िदों और मदरसों में बच्चों के दिमाग़ों में जेहाद ज़हर भी भरता है। इस संगठन का मुखिया भी मौलाना मसूद अज़हर अल्वी है जिसको नेपाल में IC-814 के अपहरण के बाद रिहा किया गया था।
ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के बहावलपुर के अल रहमत ट्रस्ट पर इन आतंकियों को मदद देने का शक है। इस ट्रस्ट के मुखियाओं के नाम अशफाक अहमद और अब्दुल शकुर हैं।
सूत्रों ने बताया, अल रहमत ट्रस्ट आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संचालन केंद्र है। इसका गठन जैश-ए-मोहम्मद को सहायता देने के लिए किया गया है। पाकिस्तान में साल 2002 में जैश पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, उसने अपने ऑपरेशन चलाने के लिए अल रहमत ट्रस्ट को मुखौटा संगठन बना लिया।
सेना से जुड़े खुफिया सूत्र बताते हैं कि हमले से पहले आतंकवादियों ने पाकिस्तान में अपने आकाओं अशफाक़ अहमद और अब्दुल शकूर से बातचीत की थी। बातचीत में उनका लहजा पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब का था। ख़ास बात यह है कि इस हमले में जैश के ही मुखौटा संगठन अल रहमत का हाथ है। यह ट्रस्ट अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तीय और ढांचागत सहायता मुहैया करवाता है। साल 2002 में जैश पर प्रतिबंध के बाद इसका गठन किया गया था। यह ट्रस्ट आतंकवादियों के परिवारों के लिए लोगों से पैसा भी इकट्ठा करता है।
साथ ही पाकिस्तान की मस्ज़िदों और मदरसों में बच्चों के दिमाग़ों में जेहाद ज़हर भी भरता है। इस संगठन का मुखिया भी मौलाना मसूद अज़हर अल्वी है जिसको नेपाल में IC-814 के अपहरण के बाद रिहा किया गया था।
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