कांग्रेस के निलंबित नेता निलेश कुम्भाणी ने गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र खारिज होने के करीब 20 दिन बाद शनिवार को आरोप लगाया कि पार्टी ने ही पहले 2017 में उनके साथ विश्वासघात किया था. गुजरात की सूरत सीट से 21 अप्रैल को कुम्भाणी का नामांकन खारिज होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी वहां से निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गए.
कुम्भाणी ने कहा कि वह इतने दिनों तक चुप थे क्योंकि वह कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख शक्तिसिंह गोहिल और राजकोट से लोकसभा उम्मीदवार परेश धनानी का सम्मान करते हैं.
कुम्भाणी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस नेता मुझ पर विश्वासघात का आरोप लगा रहे हैं लेकिन यह कांग्रेस ही थी जिसने 2017 के विधानसभा चुनाव में मेरे साथ पहले विश्वासघात किया था, जब सूरत की कामरेज विधानसभा सीट के लिए मेरा टिकट अंतिम क्षणों में रद्द कर दिया गया. यह कांग्रेस थी जिसने पहले गलती की, मैंने नहीं.''
उन्होंने दावा किया, ‘‘मैं यह नहीं करना चाहता था लेकिन मेरे समर्थक, कार्यालय कर्मचारी और कार्यकर्ता परेशान थे क्योंकि पार्टी सूरत में पांच स्व-घोषित नेताओं द्वारा संचालित की जा रही है और न तो वे काम करते हैं और न दूसरों को काम करने देते हैं.''
कुम्भाणी ने कहा, ‘‘हालांकि, आप (आम आदमी पार्टी) और कांग्रेस, ‘इंडिया' गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन इन नेताओं ने उस वक्त आपत्ति जताई जब मैं यहां आप नेताओं के साथ प्रचार कर रहा था.''
यह पूछे जाने पर कि लोकसभा चुनाव में हुए घटनाक्रम क्या कांग्रेस से उनका प्रतिशोध था, कुम्भाणी ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया और 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में टिकट रद्द किये जाने के अपने आरोप को दोहराया.
कुम्भाणी, सूरत नगर निगम में कांग्रेस के पार्षद रह चुके हैं. उन्होंने कामरेज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए थे.
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