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This Article is From Apr 01, 2024

मराठवाड़ा के बीड से चुनाव लड़ेंगी पंकजा मुंडे, 2009 से बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे का रहा है गढ़

2009 से ही महाराष्ट्र की बीड सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. दो बार बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे यहां से सांसद चुने गए. उनके बाद उनकी छोटी बेटी प्रीतम मुंडे यहां से सांसद बनी. इस सीट पर चुनाव 13 मई को होना है और मतों की गिनती 4 जून को होगी. 

मराठवाड़ा के बीड से चुनाव लड़ेंगी पंकजा मुंडे, 2009 से बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे का रहा है गढ़
2009 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है.
मुंबई:

मराठवाड़ा इलाके की बीड लोकसभा सीट, महाराष्ट्र की राजनीति में अहम सीटों में से एक है. इस सीट से बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे दो बार सांसद रह चुके हैं और उसके बाद उनकी छोटी बेटी प्रीतम मुंडे भी यहां से सांसद रही है. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में बीजेपी ने बीड से प्रीतम की बड़ी बहन पंकजा मुंडे को टिकट दिया है. बता दें कि पंकजा मुंडे अब तक विधानसभा चुनाव ही लड़ी हैं और जीती भी हैं. वह परली विधानसभा सीट से विधायक बन चुकी हैं लेकिन 2019 में उन्हीं के चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने उन्हें हरा दिया था. इसके बाद पंकजा मुंडे का सियासी सफर थम सा गया था. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया था. 

पंकजा मुंडे का है पहला लोकसभा चुनाव

हालांकि, अब बीजेपी से बीड लोकसभा सीट का टिकट मिलने से पंकजा राजनीति में फिर से सक्रिय हो गई हैं. पंकजा का कहना था कि वो आगे चलकर राष्ट्रीय राजनीति में शामिल होना चाहती थी लेकिन पार्टी उन्हें इतनी जल्दी यह मौका देगी, इसका उन्हें अंदाजा नहीं था. दिलचस्प बात ये है कि जिन चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने पंकजा को 2019 के विधानसभा चुनाव में हराया था वो अब महायुति के घटक दल एनसीपी में शामिल हो गए हैं. इस वजह से पंकजा को लोकसभा जीतने में चचेरे भाई धनंजय की भी मदद मिलेगी. 

2019 में पंकजा चचरे भाई से हार गई थीं विधानसभा चुनाव

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से पंकजा मुंडे की देवेंद्र फडणवीस से अनबन की खबरें सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रही हैं. पंकजा मुंडे अपनी हार के लिए फडणवीस को जिम्मेदार मान रही थीं. इसके बाद जब उन्हें राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया तो यह माना गया की महाराष्ट्र की राजनीति से उन्हें बाहर कर दिया गया है. पंकजा ने भी पार्टी से नाराजगी के कई बार संकेत दिए और चर्चा तो यहां तक होने लग गई थी कि वो भाजपा छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाएंगी.

2009 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है

मराठा आरक्षण को लेकर हुए आंदोलन का बड़ा असर बीड जिले में दिखाई दिया था. यहां कई हिंसक वारदातें हुई थीं. इस सीट पर ओबीसी और मराठा समुदाय, दोनों के वोटर बड़े पैमाने पर हैं. 2009 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. दो बार बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे यहां से सांसद चुने गए. उनके बाद उनकी छोटी बेटी प्रीतम मुंडे यहां से सांसद बनी. इस सीट पर चुनाव 13 मई को होना है और मतों की गिनती 4 जून को होगी. 

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