कश्मीर में पिछले सप्ताह से हिमस्खलन और बर्फबारी से जुड़ी घटनाओं में 15 जवानों समेत 21 लोगों की मौत हो चुकी है
नई दिल्ली:
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर जैसी जगहों पर ग्लोबल वार्मिंग, पारिस्थितिकीय बदलाव और पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी की वजह से हिमस्खलन की घटनाएं हो रहीं हैं. जनरल रावत ने सोनमर्ग में 25 जनवरी को हिमस्खलन की घटना में जान गंवाने वाले मेजर अमित सागर को श्रद्धांजलि देने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन और भारी हथियारों के इस्तेमाल से मिट्टी को नुकसान पहुंचता है, और भूस्खलन का खतरा होता है. ग्लोबल वार्मिंग से भी ग्लेशियरों में दरार पड़ रही है.'
सेना प्रमुख ने प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के अधिकारी मेजर अमित सागर के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वहां कठिन परिस्थितियों के बावजूद वह स्वेच्छा से डटे रहे.
कश्मीर घाटी में पिछले सप्ताह से हिमस्खलन और बर्फबारी से जुड़ी घटनाओं में सेना के 15 जवानों समेत 21 लोगों की मौत हो चुकी है. रावत ने कहा कि राज्य में पिछले 72 घंटे से भारी बर्फबारी हो रही है और अगले दो से तीन दिन ऐसे ही हालात रहने की संभावना है.
उन्होंने कहा, 'ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों में दरार पड़ रही है. ऐसे इलाकों में हिमस्खलन हुआ जहां पहले इस तरह के मामले नहीं देखे गए.' सेना प्रमुख ने कहा, 'बड़े स्तर पर संघर्षविराम उल्लंघन हुआ है और भारी हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. कई बार इससे मिट्टी पर असर पड़ता है.' उन्होंने कहा कि सेना उन जगहों से जवानों को हटा लेती है, जहां भूस्खलन की आशंका रहती है. हालांकि कुछ चौकियां आतंकवाद के लिहाज से संवेदनशील होती हैं. जनरल रावत ने कहा कि हमारे सैनिक इस खतरे का सामना कर रहे हैं. कठिनाइयों के बावजूद वे अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सेना प्रमुख ने प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के अधिकारी मेजर अमित सागर के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वहां कठिन परिस्थितियों के बावजूद वह स्वेच्छा से डटे रहे.
कश्मीर घाटी में पिछले सप्ताह से हिमस्खलन और बर्फबारी से जुड़ी घटनाओं में सेना के 15 जवानों समेत 21 लोगों की मौत हो चुकी है. रावत ने कहा कि राज्य में पिछले 72 घंटे से भारी बर्फबारी हो रही है और अगले दो से तीन दिन ऐसे ही हालात रहने की संभावना है.
उन्होंने कहा, 'ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों में दरार पड़ रही है. ऐसे इलाकों में हिमस्खलन हुआ जहां पहले इस तरह के मामले नहीं देखे गए.' सेना प्रमुख ने कहा, 'बड़े स्तर पर संघर्षविराम उल्लंघन हुआ है और भारी हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. कई बार इससे मिट्टी पर असर पड़ता है.' उन्होंने कहा कि सेना उन जगहों से जवानों को हटा लेती है, जहां भूस्खलन की आशंका रहती है. हालांकि कुछ चौकियां आतंकवाद के लिहाज से संवेदनशील होती हैं. जनरल रावत ने कहा कि हमारे सैनिक इस खतरे का सामना कर रहे हैं. कठिनाइयों के बावजूद वे अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
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