नई दिल्ली:
फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज ने गीतकार-निर्देशक गुलजार के साथ अपनी पाकिस्तान यात्रा को अधूरा छोड़कर लौट आने के पीछे किसी राजनीतिक कारण के होने से इनकार किया है।
निर्देशक विशाल भारद्वाज ने एक बयान जारी कर सफाई दी है कि गुलजार के साथ उनकी पाकिस्तान यात्रा को अधूरा छोड़कर लौट आने के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है।
भारद्वाज के बयान में कहा गया है कि वह अपनी नई फिल्म 'डेढ़ इश्किया' के एक गाने की रिकॉर्डिंग के लिए पाकिस्तान गए थे। उस दौरान गुलजार साहब अपने गुरु और प्रसिद्ध कवि अहमद नदीम कासमी की कब्र पर गए और उसके बाद वह अपने जन्मस्थान दीना भी लगभग 70 साल के बाद गए। वह वहां जाकर काफी भावुक हो गए थे और जब हम लाहौर के होटल में लौटे, तब वह काफी असहज महसूस कर रहे थे। इस वजह से हमने रिकॉर्डिंग रद्द कर दी और यात्रा को अधूरा छोड़कर उन्हें हिन्दुस्तान वापस ले आए। जैसे ही गुलजार साहब अच्छा महसूस करने लगेंगे, हम पाकिस्तान दोबारा जाएंगे।
दरअसल, गुलजार को शुक्रवार को शुरू होने जा रहे कराची साहित्य महोत्सव में भाग लेना था, जिसके उद्घाटन समारोह में वह प्रमुख वक्ता के रूप में शामिल होने वाले थे। इसके बाद चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि उन्हें भारतीय उच्चायोग की ओर से भारत लौट जाने की सलाह दी गई थी, हालांकि उच्चायोग ने एक बयान जारी कर इस बात से इनकार किया कि गुलजार द्वारा यात्रा को अधूरी छोड़कर लौट जाने में उसकी कोई भूमिका है।
बयान में कहा गया था कि गुलजार साहब की पाकिस्तान यात्रा निजी थी। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को उनके कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी और न ही उच्चायोग की ओर से किसी ने भी उन्हें लौट जाने की सलाह दी। बयान में आगे कहा गया कि दरअसल, उच्चायोग का उनसे कोई संपर्क नहीं था। यह खबर कि भारतीय उच्चायोग ने उन्हें हिन्दुस्तान लौट जाने की सलाह दी थी, पूरी तरह गलत और मनगढ़ंत है।
निर्देशक विशाल भारद्वाज ने एक बयान जारी कर सफाई दी है कि गुलजार के साथ उनकी पाकिस्तान यात्रा को अधूरा छोड़कर लौट आने के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है।
भारद्वाज के बयान में कहा गया है कि वह अपनी नई फिल्म 'डेढ़ इश्किया' के एक गाने की रिकॉर्डिंग के लिए पाकिस्तान गए थे। उस दौरान गुलजार साहब अपने गुरु और प्रसिद्ध कवि अहमद नदीम कासमी की कब्र पर गए और उसके बाद वह अपने जन्मस्थान दीना भी लगभग 70 साल के बाद गए। वह वहां जाकर काफी भावुक हो गए थे और जब हम लाहौर के होटल में लौटे, तब वह काफी असहज महसूस कर रहे थे। इस वजह से हमने रिकॉर्डिंग रद्द कर दी और यात्रा को अधूरा छोड़कर उन्हें हिन्दुस्तान वापस ले आए। जैसे ही गुलजार साहब अच्छा महसूस करने लगेंगे, हम पाकिस्तान दोबारा जाएंगे।
दरअसल, गुलजार को शुक्रवार को शुरू होने जा रहे कराची साहित्य महोत्सव में भाग लेना था, जिसके उद्घाटन समारोह में वह प्रमुख वक्ता के रूप में शामिल होने वाले थे। इसके बाद चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि उन्हें भारतीय उच्चायोग की ओर से भारत लौट जाने की सलाह दी गई थी, हालांकि उच्चायोग ने एक बयान जारी कर इस बात से इनकार किया कि गुलजार द्वारा यात्रा को अधूरी छोड़कर लौट जाने में उसकी कोई भूमिका है।
बयान में कहा गया था कि गुलजार साहब की पाकिस्तान यात्रा निजी थी। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को उनके कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी और न ही उच्चायोग की ओर से किसी ने भी उन्हें लौट जाने की सलाह दी। बयान में आगे कहा गया कि दरअसल, उच्चायोग का उनसे कोई संपर्क नहीं था। यह खबर कि भारतीय उच्चायोग ने उन्हें हिन्दुस्तान लौट जाने की सलाह दी थी, पूरी तरह गलत और मनगढ़ंत है।
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