
पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार फिर दुनिया के सामने आ गया है. पाकिस्तानी सेना के साथ जनाजे के दौरान खड़े मौलवी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता (DG ISPR) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि वायरल तस्वीर में दिख रहा शख्स कोई आतंकी नहीं, बल्कि एक धर्मगुरु है. उन्होंने इस शख्स का राष्ट्रीय पहचान पत्र (ID कार्ड) भी दिखाया और कहा कि यह एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता है. लेकिन जांच में सामने आया कि जिस व्यक्ति की पहचान DG ISPR ने बताई, उसका नाम, जन्मतिथि, और यहां तक कि नेशनल आईडी नंबर पूरी तरह से उस शख्स से मेल खाती है, जिसे अमेरिका ने एक ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया हुआ है.
पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरे कॉन्फिडेंस के साथ दावा किया था कि वायरल तस्वीर में दिख रहा शख्स कोई आतंकी नहीं, बल्कि एक धर्मगुरु है. लेकिन जांच के सामने आया है कि ये शख्स एक वैश्विक आंतकी है और इसका नाम हाफिज अब्दुर रऊफ है.

अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक, हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर-ए-तैयबा और उसके फ्रंट संगठनों के लिए चंदा इकट्ठा करता रहा है. जो ID कार्ड पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता ने दिखाया, उस पर लिखा है कि वह 'वेलफेयर विंग इंचार्ज, पीएमएमएल (PMML) है.
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पाकिस्तानी सेना ने एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी को मौलवी का चोला पहनाकर सभी को धोखा देने का प्रयास किया, लेकिन एक बार फिर वो बेनकाब हो गया है. पाकिस्तान एक बार फिर अपनी नापाक गतिविधियों को छिपाने के लिए एक राजनीतिक या धार्मिक संगठन के नाम का इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तानी सेना ने जिस शख्स को धार्मिक प्रचारक बताया, वह वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है. इससे यह साफ होता है कि पाकिस्तान जानबूझकर आतंकियों को संरक्षण दे रहा है और दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है.
एलईटी का एक मुखौटा FIF
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के वरिष्ठ नेतृत्व में लंबे समय से शामिल हाफिज अब्दुर रऊफ को लेकर ये बड़ा खुलासा है. जानकारी के मुताबिक, रऊफ 1999 से एलईटी के शीर्ष नेताओं में शुमार रहा है और वह फाउंडेशन फॉर इम्प्लीमेंटेशन ऑफ फंडामेंटल्स (FIF) के मुखिया के तौर पर काम कर रहा है, जो दरअसल एलईटी का एक मुखौटा है. 2008 के मुंबई हमलों के बाद जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एलईटी पर दबाव बढ़ा, तब इस संगठन ने अपने राहत कार्यों के लिए FIF के नाम का सहारा लिया. 2009 में रऊफ ने पाकिस्तान में एक फंडरेज़र कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें FIF के नाम से पैसा इकठ्ठा किया गया.
हाफिज सईद का चेला रऊफ
हाफिज सईद के कहने पर काम करने वाले रऊफ को 2008 में एलईटी का 'डायरेक्टर ऑफ ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ' और 2003 में 'डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस' बनाया गया था. अगस्त 2008 में उसने एलईटी और जमात-उद-दावा की टीम का नेतृत्व किया, जो पाकिस्तान के बाजौर इलाके में राहत और फंडरेज़िंग की समीक्षा के लिए भेजी गई थी. रऊफ न केवल एलईटी के प्रवक्ता के रूप में भी कार्य कर चुका है, बल्कि मीडिया व कार्यक्रमों के ज़रिये FIF के जरिए एलईटी के लिए जनसमर्थन जुटाने की रणनीति भी बनाता रहा है. दिसंबर 2008 में एलईटी की वेबसाइट पर एक इंटरव्यू में, उसने JUD की राहत गतिविधियों को "अपना संगठन" बताया था. अगस्त 2003 में एक पाकिस्तानी वीकली को दिए इंटरव्यू में उसने कहा था कि सरकार द्वारा बैन के बावजूद, JUD और LET राहत कार्यों और चंदा इकठ्ठा करने में जुटे हैं.
2007 में वह पेशावर गया था...
रऊफ पहले एलईटी की चैरिटेबल विंग 'इदारा खिदमत-ए-खल्क़' (IKK) का प्रमुख भी रह चुका है. 2007 में वह पेशावर गया था, जहां IKK की राहत गतिविधियों की निगरानी की. वहीं एक बैठक में उसने बाढ़ पीड़ितों के लिए LET के राहत कार्यों पर रिपोर्ट पेश की थी. 2004 में उसने JUD की वेलफेयर विंग के मुखिया के रूप में एक मेडिकल संगठन की सालाना रिपोर्ट भी प्रस्तुत की थी.
गौरतलब है कि 2006 में JUD और IKK को एलईटी की संस्थाएं मानते हुए अमेरिका ने E.O. 13224 के तहत प्रतिबंधित किया था. वहीं हाफिज सईद को 2008 में विशेष वैश्विक आतंकी (SDGT) घोषित किया गया और JUD तथा सईद दोनों को दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 सूची में डाला गया था.
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