कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा का मामला आज संसद में पूरे जोरशोर से उठा कर इस मामले में कथित तौर पर दिल्ली पुलिस की नाकामी को जिम्मेदार ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करेंगे. संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरु हो रहा है. बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक चला था. कांग्रेस के सूत्रों ने रविवार को बताया कि पार्टी, संसद के दोनों सदनों में सोमवार को कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर बहस कराने की मांग कर सकती है. इस बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि पार्टी दिल्ली के दंगों का मुद्दा संसद में जोरशोर से उठाएगी.
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TMC और वामदलों सहित अन्य विपक्षी दलों ने भी राज्यसभा और लोकसभा में यह मुद्दा उठाने की तैयारी कर ली है. माकपा के राज्यसभा सदस्य के के रागेश और टी के रंगराजन ने उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली में दंगों के मामले पर दिन भर चर्चा कराने की मांग करते हुये सभापति एम वेंकैया नायडू को नियम 267 के तहत नोटिस दिया है. रागेश ने बताया कि भाकपा और माकपा के सदस्य दोनों सदनों में यह मुद्दा उठायेंगे. उन्होंने बताया कि विपक्षी दल एकजुट होकर इस मामले में गृह मंत्री से सदन में जवाब देने और उनके इस्तीफे की मांग को पुरजोर तरीके से उठायेंगे.
भाकपा के महासचिव डी राजा ने बताया कि उनके दल के सदस्य दोनों सदनों में गृह मंत्री के जवाब की मांग उठायेंगे. इसमें गृहमंत्री से दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों के दौरान पुलिस की निष्क्रिय भूमिका के बारे में जवाब देने की मांग की जायेगी. चौधरी ने बताया, "सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति को बरकरार रखने में पूरी तरह से नाकाम रही है. दंगा फैलाने वालों और पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग की मिलीभगत हो सकती है जिसकी वजह से हुयी भीषण हिंसा ने पूरी दुनिया में हमारी (भारत की) छवि को दागदार बना दिया है हम सभी के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है." उन्होंने कहा, "हम गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग सदन में उठाते रहेंगे." इस बीच राज्यसभा सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि कांग्रेस देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का मुद्दा संसद में उठाने की पुरजोर कोशिश करेगी.
सिंघवी ने कहा, "संसद के भीतर और बाहर विरोध का तरीका, साझा रणनीति का हिस्सा होगा और यह ऐसा विषय नहीं है जिसे सार्वजनिक किया जाए. देश इस बात के लिए आश्वस्त है कि हम गैरकानूनी तरीके से किए जा रहे चरम शोषण के बावजूद पूरी ताकत से बिना किसी भय के अपनी जिम्मेदारी को निभायेंगे." तृणमूल कांग्रेस के भी एक नेता ने कहा कि उनके दल के सांसद दोनों सदनों में विपक्षी दलों के साथ एकजुट होकर यह मुद्दा उठायेंगे.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने दिल्ली में दंगों के दौरान पुलिस पर पूर्वाग्रह पूर्ण रवैया अपनाते हुए कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केन्द्र सरकार को राजधर्म की याद दिलाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लेने की मांग की थी. कांग्रेस का आरोप है कि शाह ने इस मामले में अपने दायित्व का उचित निर्वाह नहीं किया है. संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में पिछले दिनों भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग घायल हुये हैं.
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