कैराना पहुंची बीजेपी की नौ सदस्यीय जांच टीम प्रशासन के दावों से सहमत नहीं (PTI फोटो)
कैराना (यूपी):
बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने कैराना के जिन 346 लोगों की सूची जारी की थी उनमें से सिर्फ नौ ही ऐसे हैं, जिन्होंने आपराधिक तत्वों से परेशान होकर पलायन किया। अधिकारियों ने बताया कि हुकुम सिंह के आरोपों के बाद शामली जिला प्रशासन का एक दल कैराना में जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है। हालांकि कैराना के दौरे पर गए बीजेपी के जांच दल ने जिला प्रशासन के इन दावों को खारिज किया है।
हुकुम सिंह द्वारा लिस्ट में बताए गए 346 नामों की जांच के लिए प्रशासनिक दल घर-घर गया और वहां तस्दीक के लिए उनके परिजनों के बयान दर्ज किए। जांच में पता चला कि सूची के 27 नाम ऐसे हैं, जो कि अब भी शामली में ही रह रहे हैं, जबकि 16 लोगों की मौत हो चुकी है, पांच लोग सरकारी कर्मचारी थे और रिटायर्ड होने के बाद यहां से जा चुके हैं, वहीं 7 नाम डुप्लिकेट हैं।
जांच दल का कहना है कि लिस्ट में शामिल 279 लोग बेहतर रोजगार संभावनाओं के लिए कैराना छोड़ कर गए। इनके पलायन के पीछे की वजह कोई साम्प्रदायिक तनाव नहीं था।
हालांकि कैराना में जांच के लिए बीजेपी की 9 सदस्यीय टीम जिला प्रशासन की इस रिपोर्ट से इत्तेफाक नहीं रखती। बीजेपी की इस टीम में राज्य के तीन सासंद राघव लखन पाल, सुरेश खन्ना और सत्यपाल सिंह के अलावा यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल शामिल हैं।
बीजेपी जांच दल ने यहां दो परिवारों से भी मुलाकात, जिनके सदस्यों की साल 2014 में स्थानीय गुडों ने हत्या कर दी थी। इस टीम का नेतृत्व कर रहे सुरेश खन्ना कहते हैं, 'हम यहां कई परिवारों से मिले। कैराना और शामली में कानून-व्यवस्था पूरी तरह विफल हो चुकी है।' उन्होंने कहा, 'हुकुम सिंह द्वारा जारी लिस्ट में 346 नाम हैं, लेकिन लोगों से मुलाकात के बाच हमें प्रतीत हुआ कि बड़ी संख्या में लोग कैराना छोड़ कर जाना चाहते हैं।'
इस दल की हालांकि इस बात को लेकर आलोचना भी हो रही है कि इसने लिस्ट में बताए गए ज्यादातर लोगों से मिलने के बजाए बस 5 कॉलोनियों का ही दौरा किया। इस पर सुरेश खन्ना कहते हैं, 'हम उन्हीं जगहों पर गए जहां लोग खुलकर अपनी मर्जी से हमसे बात करना चाहते थे।'
बीजेपी की जांच दल ने अभी अपनी रिपोर्ट पूरी नहीं की है। वहीं जिला प्रशासन की टीम बयानों की 4 वीडियो सीडी सहित अपनी विस्तृत रिपोर्ट गुरुवार तक लखनऊ भेज देगी।
हुकुम सिंह द्वारा लिस्ट में बताए गए 346 नामों की जांच के लिए प्रशासनिक दल घर-घर गया और वहां तस्दीक के लिए उनके परिजनों के बयान दर्ज किए। जांच में पता चला कि सूची के 27 नाम ऐसे हैं, जो कि अब भी शामली में ही रह रहे हैं, जबकि 16 लोगों की मौत हो चुकी है, पांच लोग सरकारी कर्मचारी थे और रिटायर्ड होने के बाद यहां से जा चुके हैं, वहीं 7 नाम डुप्लिकेट हैं।
जांच दल का कहना है कि लिस्ट में शामिल 279 लोग बेहतर रोजगार संभावनाओं के लिए कैराना छोड़ कर गए। इनके पलायन के पीछे की वजह कोई साम्प्रदायिक तनाव नहीं था।
हालांकि कैराना में जांच के लिए बीजेपी की 9 सदस्यीय टीम जिला प्रशासन की इस रिपोर्ट से इत्तेफाक नहीं रखती। बीजेपी की इस टीम में राज्य के तीन सासंद राघव लखन पाल, सुरेश खन्ना और सत्यपाल सिंह के अलावा यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल शामिल हैं।
बीजेपी जांच दल ने यहां दो परिवारों से भी मुलाकात, जिनके सदस्यों की साल 2014 में स्थानीय गुडों ने हत्या कर दी थी। इस टीम का नेतृत्व कर रहे सुरेश खन्ना कहते हैं, 'हम यहां कई परिवारों से मिले। कैराना और शामली में कानून-व्यवस्था पूरी तरह विफल हो चुकी है।' उन्होंने कहा, 'हुकुम सिंह द्वारा जारी लिस्ट में 346 नाम हैं, लेकिन लोगों से मुलाकात के बाच हमें प्रतीत हुआ कि बड़ी संख्या में लोग कैराना छोड़ कर जाना चाहते हैं।'
इस दल की हालांकि इस बात को लेकर आलोचना भी हो रही है कि इसने लिस्ट में बताए गए ज्यादातर लोगों से मिलने के बजाए बस 5 कॉलोनियों का ही दौरा किया। इस पर सुरेश खन्ना कहते हैं, 'हम उन्हीं जगहों पर गए जहां लोग खुलकर अपनी मर्जी से हमसे बात करना चाहते थे।'
बीजेपी की जांच दल ने अभी अपनी रिपोर्ट पूरी नहीं की है। वहीं जिला प्रशासन की टीम बयानों की 4 वीडियो सीडी सहित अपनी विस्तृत रिपोर्ट गुरुवार तक लखनऊ भेज देगी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
कैराना, कैराना से पलायन, हिन्दुओं का उत्पीड़न, बीजेपी, हिन्दूओं का पलायन, Kairana, Kairana Hindu Exodus, Kairana Hindu Migration, Kairana Hindus, BJP