ऑनलाइन सेल का मौसम दिवाली से पहले शुरू हुआ और लगता है जल्द ख़त्म नहीं होने वाला। फ्लिपकार्ट के बिग बिलियन डे सेल ने सुर्खियां तो बटोरी, लेकिन ये सेल जितना सफल रहा उससे ज़्यादा सवालों में भी रहा।
करीब 600 करोड़ का सामान बेचकर भी फ्लिपकार्ट ग्राहकों के भरोसे पर खरी नहीं उतरी। आउट ऑफ स्टॉक प्रोडक्ट ने लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया और यह गुस्सा सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर फ्लिपकार्ट के पेज पर देखने को भी मिला। अंत में कंपनी के हेड ने बाक़ायदा मेल जारी कर लोगों से माफ़ी मांगी।
हालाकि सेल की दुनिया में फ्लिपकार्ट के साथ कई और कंपनियां भी तेज़ी से ग्राहकों को खींच रही हैं। फ्लिपकार्ट के बिग बिलियन डे सेल के दिन ही स्नैपडील भी करीब 600 करोड़ के प्रोडक्ट बेचने में कामयाब रही थी।
आमेज़न, ई-बे जैसी कंपनियां नए−नए तरीके ग्राहकों को खींचने के लिए अपना रही हैं। आमेज़न के ऐपिनेस डे में तो बाक़ायदा ऐप इस्तेमाल करने वालों के लिए सेल का मौका आया और कंपनी ने कई तरह के इनामों का एलान भी किया, तो वहीं स्नैपडील के सेविंग्स डे में कई बार वेबसाइट क्रैश होने की ख़बरें आईं। यानी लोगों में ऑनलाइन सेल का जादू बरकरार है, लेकिन बड़ा सवाल साख का है, जिसके दम पर ही ऑनलाइन बाज़ार में बना रहा जा सकता है।
तकनीकी रूप से भारत में सीधे ऑनलाइन रीटेल बिज़नेस की इजाज़त नहीं है। ये इंटरनेट पर उन कंपनियों के पोर्टल मुहैया कराती हैं जो अपना प्रोडक्ट बेचना चाहती हैं। तब सवाल उठता है कि क्या बड़ी ऑनलाइन कंपनियां क्वालिटी चेक और प्रोडक्ट के ग्राहकों तक सही सलामत पहुंचने पर गंभीर हैं। क्योंकि जब ख़बर आती है कि मोबाइल के ऑर्डर पर साबुन भेज दिया जाता है, तो सवाल उठना जायज़ है।
यह हाल तब है जबकि इस देश में अभी भी सिर्फ 15 लोग ही इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करते हैं और ऑनलाइन रीटेल बाज़ार का हिस्सा कुल रीटेल बाज़ार का एक फीसदी से भी कम है।
ऐसा नहीं है कि पहले ऑनलाइन सामान उपलब्ध नहीं था, लेकिन लोगों का भरोसा उस हद तक नहीं था, जितना आज है। अगर जो उत्पाद दिखेगा वह नहीं मिलेगा या फिर उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं होगी। तो फिर ग्राहकों को रोकना बहुत मुश्किल होगा, यानी जो दिखेगा वही मिलेगा तभी ऑनलाइन सामान बिकेगा और तभी ई−कॉमर्स बाज़ार टिकेगा।
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