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This Article is From Aug 15, 2017

स्वतंत्रता को उस स्तर तक ले जाना है जहां हर कोई खुश रहे: मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर

स्वतंत्रता संग्राम और आजादी दिलाने में वकीलों की भी बेहद अहम भूमिका थी. वकीलों का काम अभी खत्म नहीं हुआ. स्वतंत्रता को उस स्तर तक ले जाना है जहां हर कोई खुश रहे.'

स्वतंत्रता को उस स्तर तक ले जाना है जहां हर कोई खुश रहे: मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर
देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस जेएस खेहर (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि सभी को भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए क्योंकि ये देश सभी धर्मों का एक जैसा सम्मान करता है. CJI खेहर ने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे राष्ट्रपति दलित हैं जो गरीबी में रहे हैं. उप राष्ट्रपति जो पहले पोस्टर लगाते थे और प्रधानमंत्री जो चाय बेचते थे. ये ही आजादी होती है जब आप इसके चलते हर चीज को पा सकते हैं. हर कोई आज एक साथ है. चाहे वो ब्राह्मण का बेटा हो, दलित का हो हर कोई एक समान है. जो चाहे वो पा सकता है. देशवासियों को अपने भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए क्योंकि ये देश सभी धर्म और जाति के लोगों को समान अवसर प्रदान करता है.

सुप्रीम कोर्ट में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के 71वें समारोह में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सूरी के जजों के बच्चे भी जज बनने और सरकारी पैनल लेने की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए CJI खेहर ने कहा कि न्यायपालिका को पैसे कमाने की जगह समझने की बजाय इसका सम्मान करना चाहिए. 'मैंने एक पेपर में पढ़ा जिसपर लिखा था कि CJI के बेटे पंजाब सरकार के पैनल में नियुक्त हुए हैं. मैंने बेटे से पूछा क्या कि तुम नियुक्त हो गए हो, क्या कभी तुमने रिश्वत ली, क्या तुम्हें लेटर मिला तो उसने मना किया और कहा खेहर के नाम का एक और आदमी नियुक्त नियुक्त हुआ है.

जस्टिस खेहर ने कहा कि बार प्रेसिडेंट को इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. बच्चे काबिल समझदार हैं चाहे वो जजों के हों या किसी ओर के, जजों से बच्चों के बारे में कही गई बातें हमेशा सच नहीं होती.' CJI खेहर ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि चंडीगढ़ में उनके बेटे ने टी शर्ट कई सालों पहले दी थी. लेकिन टी शर्ट पर जो लिखा था जो मायने रखता है. जिसपर लिखा था 'मैं जन्म और इच्छा से सिख हूं और मुझे सिख होने पर गर्व है.'

जस्टिस खेहर ने कहा कि उस टी शर्ट को पहना तो बहुत अच्छा लगा तब उन्होंने सोचा कि इसे पहले क्यों नहीं पहना. इसी तरह वकील अलग अलग धर्मों से हैं. वो सभी अपने धर्म और भारत के नागरिक होने पर गर्व करते हैं. CJI खेहर ने बताया कि वो केन्या के नागरिक थे और अब भारत के मुख्य न्यायधीश हैं. उस वक्त ब्रिटिश प्रथम नागरिक थे. दूसरे दर्जे के अमेरिकन, तीसरे दर्जे पर यूरोपियन चौथे पर अफ्रीकन और फिर एशियन. जब चारों में से कोई नहीं हो तभी भारतीय को मौका मिलता था.

स्वतंत्रता संग्राम और आजादी दिलाने में वकीलों की भी बेहद अहम भूमिका थी. वकीलों का काम अभी खत्म नहीं हुआ. स्वतंत्रता को उस स्तर तक ले जाना है जहां हर कोई खुश रहे. जस्टिस खेहर ने कहा, 'उन्होंने इलाहाबाद में कहा था कि छुट्टियों के समय जज और वकील भी काम करें ताकि लंबित मामलों का निपटारा किया जा सके. ये आपका सहयोग होगा देश के लिए, देश की उन्नति और तरक्की के लिए. साथ ही इससे जुड़े लोगों को सेवा कर देश का कर्ज अदा करना चाहिए.

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