भारत और चीन के बीच आर्थिक मोर्चे पर भी जारी गतिरोध के बीच मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नियमों में कुछ बदलाव किए जाने की उम्मीद की जा रही है जिससे चीनी उत्पादों व अन्य सेवाओं के लिए देश में और मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं. पिछले हफ्ते लद्दाख में हुई हिंसा के बाद व्यापारियों के समुदाय के साथ-साथ नागरिकों ने भी चीनी वस्तुओं और सेवाओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया है. इस हिंसा में 20 सैनिकों की मौत हुई थी और 70 से अधिक घायल हो गए थे.
सरकार ने आज कहा़, 'नए नियमों के तहत, भारत में बिक्री के लिए नए उत्पादों को पंजीकृत करने वाली सभी विदेशी कंपनियों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (एक राज्य द्वारा संचालित ऑनलाइन पोर्टल GeM ) मूल देश (Country of Origin) का उल्लेख करना होगा.'
यह मौजूदा उत्पादों के लिए भी अनिवार्य होगा. सरकार ने कहा, "विक्रेता, जिन्होंने GeM पर इस नए फ़ीचर के आने से पहले ही अपने प्रोडक्ट्स अपलोड कर दिए थे, उन्हें कंट्री ऑफ़ ओरिजिन अपडेट करने के लिए नियमित रूप से याद दिलाया जा रहा है, एक चेतावनी के साथ कि यदि उनके प्रोडक्ट्स को अपडेट करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें GeM से हटा दिया जाएगा,"
सरकार ने कहा, 'इसके साथ ही विक्रेताओं को उत्पाद में स्थानीय सामग्री का अनुपात भी बताना होगा. जिससे ग्राहक एक सूचित विकल्प बना सकता है. इस नए फीचर के में वस्तु के मूल देश के साथ साथ इसमें इस्तेमाल की गई स्थानीय समाग्री का प्रतिशत भी दिखाई देगा.'
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अब पोर्टल पर 'मेक इन इंडिया' फ़िल्टर एक्टिव हो गया है. खरीदार केवल उन उत्पादों को खरीदना चुन सकते हैं जो न्यूनतम 50% स्थानीय सामग्री मानदंडों को पूरा करते हैं. पूरे देश में चीनी सामान का विरोध हो रहा है.
कन्फंड्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने चीनी सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया है. इस बीच केंद्र सरकार ने सरकार के स्वामित्व वाली संचार कंपनी बीएसएनएल से कहा कि अपने 4जी अपग्रेडेशन के लिए सुरक्षा की दृष्टि से चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करें. इस बीच एक चीनी फर्म को 471 करोड़ रुपये का रेलवे ठेका दिया गया था जिसे "खराब प्रगति के मद्देनजर" वापस ले लिया गया है.
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