10 नवंबर की शाम लाल किले के पास हुए ब्लास्ट की जांच में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. शुरुआती जांच के मुताबिक यह साजिश साधारण धमाका नहीं बल्कि महीनों से रची जा रही सुनियोजित कवायद थी. जिसका असली मकसद 26/11 जैसे समन्वित और हाई-प्रोफाइल हमले करना था. इन हमलावरों का प्लान था कि भीड़भाड़ वाली जगह में विस्फोट किया जाए, इसी के लिए इंस्ट्रक्शन मिलने के इंतजार में वो तीन घंटे तक पार्किंग में खड़ा रहा. पुलिस ने यह भी बताया कि इन हमलावरों के निशाने पर दिल्ली के लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, गौरी शंकर मंदिर, प्रमुख रेलवे स्टेशन और शॉपिंग मॉल्स थे. इन जगहों को एक साथ निशाना बनाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश थी. जांच के मुताबिक मॉड्यूल जनवरी 2025 से सक्रिय था और उसने एक साथ कई हाई-इम्पैक्ट IEDs (प्रभावक विस्फोटक) तैयार करने की योजना बनाई थी. पुलिस का आरोप है कि मॉड्यूल ने करीब 200 से अधिक शक्तिशाली IEDs तैयार करने का लक्ष्य रखा था. जिन्हें एक साथ दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद में हाई-प्रोफाइल निशानों पर उपयोग किया जाना था.

तीन घंटे पार्किंग में क्यों रुकी रही थी कार?
जांच में यह भी सामने आया कि जैश के संदिग्ध आतंकी डॉ. मोहम्मद उमर की i20 कार कुछ घंटों तक पार्क करवाई गई थी. पुलिस के अनुसार कार को रणनीतिक रूप से पार्क करके उसकी लोकेशन और टाइमिंग से लक्षित स्थानों पर हमला करने की तैयारी की जा रही थी. यही वजह मानी जा रही है कि कार करीब 3 तक घंटे पार्किंग में रही. ताकि हमले की सही विंडो पर उसे सक्रिय किया जा सके.
सूत्रों की मानें तो हमलावरों का प्लान लाल किला में विस्फोट करने का था. लेकिन सोमवार को लाल किला बंद रहता है तो उन्होंने प्लान बदला और भीड़भाड़ वाली जगह में ब्लास्ट किया. जानकारी के मुताबिक गाड़ी की पिछली सीट पर बारूद रखकर ले जाया गया. बता दें कि उमर गाड़ी को पार्किंग से जल्दबाजी में निकालकर ले गया और फिर रेड लाइट पर जाकर विस्फोट कर दिया.
डॉक्टर पर वाइट-कॉलर कवर का आरोप
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मॉड्यूल में शामिल कुछ संदिग्ध डॉक्टरों ने वाइट-कॉलर कवर का फायदा उठाया और एनसीआर में आसानी से चल-फिर सके. डॉक्टर के रूप में उनके ऊपर शक कम होता था, जिससे वे फरीदाबाद में बेस बनाकर विस्फोटक छिपाने और जतन करने के काम में जुटे रहे. आरोपियों ने विस्फोटक छिपाने व जमा करने के लिए धौज और फतेहपुर तगा इलाकों में कमरों को किराये पर लिया, जहां उनकी आवाजाही संदिग्ध नहीं लगती थी.
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पुराना CCTV और खरीद-बिक्री का नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया कि ब्लास्ट से 11 दिन पहले का यानी 29 अक्टूबर का उसी i20 का एक वीडियो भी सामने आया था. वीडियो में कार पॉल्यूशन कंट्रोल सेंटर पर खड़ी दिखाई देती है और उसके साथ तीन लोग भी नजर आ रहे हैं. पुलिस इस क्लिप की भी गहराई से पड़ताल कर रही है. खासकर क्योंकि कार की खरीद-बिक्री का नेटवर्क भी संदिग्ध फैक्टर बनकर उभर रहा है. जांच के अनुसार वही i20 (HR-26 CE 7674) OLX के जरिए बिककर कुछ दिनों बाद उमर के पास पहुंची थी.
कार बेचने वाले हिरासत में
हरियाणा पुलिस ने रॉयल कार जोन (Royal Car Zone) के मालिक सोनू को हिरासत में लिया और दिल्ली पुलिस को सौंप दिया है. सोनू के दफ्तर पर ताला लगा हुआ है. प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस यह देखने की कोशिश कर रही है कि क्या कार की बिक्री-लेन-देन में कोई जानबूझ कर-छल किया गया या कोई थर्ड-पार्टी मदद शामिल थी.
पुलिस ने फिलहाल कई बिंदुओं पर आशंका जताई है पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा. यह साफ है कि ब्लास्ट अकेली घटना नहीं है बल्कि एक बड़े पैमाने की साजिश का हिस्सा था. पुलिस अब यह जांच कर रही है कि कौन-कौन इस नेटवर्क से जुड़े हैं और किन स्रोतों से विस्फोटक आ रहे थे.
उप-निरीक्षक स्तर से लेकर राष्ट्रीय जांच-एजेंसियां फिलहाल हर फ्रेम और पुरानी CCTV फुटेज की स्लो-मोशन पड़ताल कर रही हैं. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि जैसे-जैसे और सबूत सामने आएंगे, आरोपियों के नेटवर्क की परतें खुलेंगी.
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