अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए कई कदम उठाए गए : कानून मंत्री

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री ने सुझाव दिया कि मामलों को निपटाने की दर, फैसले करने की गति बढ़नी चाहिए.

अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए कई कदम उठाए गए : कानून मंत्री

उदयपुर:

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि उनके मंत्रालय ने इस मुद्दे के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं तथा आने वाले दिनों में और कदम उठाए जाएंगे.

मंत्री ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को कम करने का प्रमुख जरिया प्रौद्योगिकी है और अदालतों को कागज रहित (पेपरलेस) बनाने के लिए देशभर में अदालतों को प्रौद्योगिकी से लैस किया जा रहा है.

मंत्री ने कहा कि ‘‘हम उस ओर बढ़ रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘अब हम इसे अंतिम रूप दे रहे हैं. उच्च न्यायालयों, निचली अदालतों, न्यायाधिकरणों को प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित किया जा रहा है. ई-अदालतों के दूसरे चरण की सफलता के कारण ही कोरोना महामारी के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई हुई.''

उन्होंने कहा कि कई उच्च न्यायालयों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करने में अच्छा काम किया है.

केंद्रीय मंत्री रीजीजू मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) उदयपुर में 'भारत में सतत विकास: क्रमागत उन्नति और कानूनी परिप्रेक्ष्य' विषयक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसका आयोजन भारत का विधि आयोग, विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार, एमएलएसयू के ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ' ने संयुक्त रूप से किया.

मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 4.90 करोड़ को पार कर गई है जो हर समय उन्हें परेशान करती है.

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी राष्ट्र, किसी भी समाज में इतने सारे मामले लंबित होना बिल्कुल अच्छी बात नहीं है. इसके कई कारण हैं. यह हमारी व्यवस्था को भी शोभा नहीं देता है. मामले लंबित होने के कई कारण हैं और इसके समाधान के भी कई रास्ते हैं जिनमें सबसे बड़ा तकनीक है. इसके अलावा भी मंत्रालय कई चीजों पर काम कर रहा है और आने वाले दिनों में हम कुछ और कदम उठाने जा रहे हैं.''

उन्होंने सुझाव दिया कि मामलों को निपटाने की दर, फैसले करने की गति बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में न्यायाधीशों के लिए हालात आज बहुत विकट हैं. एक एक न्यायाधीश जितने मामले निपटाते हैं, मैं समझता हूं कि यह बाकी लोगों के लिए तो असंभव है. न्यायाधीश एक दिन में 50-60 मामलों की सुनवाई करता है. वे इतनी बड़ी संख्या में मामलों को निपटाते भी हैं लेकिन उसकी दोगुनी संख्या में नए-नए मामले हर रोज आते हैं.''

मंत्री ने कहा, ‘‘आम आदमी पूछता है कि इतने मामले लंबित क्यों हैं.. लेकिन लोगों को यह पता नहीं कि न्यायाधीशों के इतना काम करने के बावजूद मामले लंबित हैं. इसमें न्यायाधीशों की गलती नहीं, गलती सिस्टम (व्यवस्था) की है.''

उन्होंने कहा कि सरकार कई पुराने व निरर्थक कानूनों को हटाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, 'हम उसी गतिशील न्यायिक व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं जो हमारे देश में होनी चाहिए.'

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को 'पेपरलेस' बनाने का काम चल रहा है, जो पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. सतत विकास की बात करते हुए उन्होंने आर्थिक विकास और पर्यावरण में संतुलन की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से हम अपना जीवन जी रहे हैं, वह हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है. आर्थिक विकास हासिल करने की चाहत और हमारे आस-पास जो बेतरतीब चीजें हो रही हैं, वे डराने वाली हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘सुपर पावर' (महाशक्ति) एवं विकसित देश बनकर रहेगा और हम माननीय प्रधानमंत्री का यह सपना जरूर सच करेंगे. हम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व नेता बन रहे हैं, पूरा विश्व हमको अब ‘लीडर' के रूप में देखता है.''

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उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरे विश्व को बता रहे हैं कि हम एक ज़िम्मेदार देश हैं और इसलिए हमको अपनी ज़िम्मेदारी नहीं भूलनी चाहिए और जलवायु संरक्षण की ओर ध्यान देना चाहिए.''
 



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)