आयुष मंत्रालय द्वारा जारी 'मदर एंड चाइल्ड केयर' बुकलेट में ये सलाह दी गई हैं
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय की गर्भवती महिलाओं के दी गई सलाह काफी चर्चा का विषय बनी हुई है. मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में स्वस्थ्य जच्चा और सेहतमंद बच्चे के लिए सलाह दी है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इच्छा, क्रोध, लगाव, नफरत और वासना से खुद को अलग रखना चाहिए. साथ ही बुरी सोहबत से भी दूर रहना चाहिए. हमेशा अच्छे लोगों के साथ और शांतिप्रिय माहौल में रहें. आयुष मंत्रालय ने मदर एंड चाइल्ड केयर नामक बुकलेट जारी की है जिसमें, ये सलाह दी गई हैं.
आयुष मंत्रालय की सलाह यहां तक सीमित नहीं रही. मंत्रालय आगे कहता है कि यदि आप सुंदर और सेहतमंद बच्चा चाहती हैं तो महिलाओं को "इच्छा और नफरत" से दूर रहना चाहिए, आध्यात्मिक विचारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अपने आसपास धार्मिक तथा सुंदर चित्रों को सजाना चाहिए.
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने पिछले सप्ताह इस बुकलेट को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य संपादकों के एक सम्मेलन में जारी किया था.
इस बुकलेट में गर्भकाल के दौरान योग और अच्छी खुराक के फायदों के बारे में भी बताया गया है. साथ में यह भी बताया गया है कि इस दौरान महिलाओं को स्वाध्याय करना, अध्यात्मिक विचार, महान हस्तियों की जीवनी पढ़ने आदि में खुद को व्यस्त रखना चाहिए. हालांकि यह बात समझ से परे है कि इन बातों का गर्भावस्था पर क्या असर होता है.
अधिकतर सलाह तो ऐसी हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है और जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता.
इस बुकलेट को तैयार करने में शामिल रहे एक डॉक्टर ने कहा कि बुकलेट में बताई गईं बातें केवल सुझाव मात्र हैं. ईश्वर आचार्य अपनी इस बात पर जोर देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मांसाहारी भोजन से बचा जाना चाहिए और सेक्स से तो बिल्कुल परहेज करना चाहिए.
उधर, चिकित्सकों के एक धड़े ने इन सलाहों पर अपनी असहमति जाहिर की है. स्त्री रोग विशेषज्ञ मंदाकिनी कुमारी बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में खून आदि की कमी रहती है और मांसाहारी भोजन प्रोटीन, आयरन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ सामान्य है तो सेक्स से भी कोई नुकसान नहीं होता.
2014 में सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा की अगुवाई वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया था, ताकि योग को बढ़ावा दिया जा सके.
आयुष मंत्रालय की सलाह यहां तक सीमित नहीं रही. मंत्रालय आगे कहता है कि यदि आप सुंदर और सेहतमंद बच्चा चाहती हैं तो महिलाओं को "इच्छा और नफरत" से दूर रहना चाहिए, आध्यात्मिक विचारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अपने आसपास धार्मिक तथा सुंदर चित्रों को सजाना चाहिए.
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने पिछले सप्ताह इस बुकलेट को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य संपादकों के एक सम्मेलन में जारी किया था.
इस बुकलेट में गर्भकाल के दौरान योग और अच्छी खुराक के फायदों के बारे में भी बताया गया है. साथ में यह भी बताया गया है कि इस दौरान महिलाओं को स्वाध्याय करना, अध्यात्मिक विचार, महान हस्तियों की जीवनी पढ़ने आदि में खुद को व्यस्त रखना चाहिए. हालांकि यह बात समझ से परे है कि इन बातों का गर्भावस्था पर क्या असर होता है.
अधिकतर सलाह तो ऐसी हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है और जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता.
इस बुकलेट को तैयार करने में शामिल रहे एक डॉक्टर ने कहा कि बुकलेट में बताई गईं बातें केवल सुझाव मात्र हैं. ईश्वर आचार्य अपनी इस बात पर जोर देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मांसाहारी भोजन से बचा जाना चाहिए और सेक्स से तो बिल्कुल परहेज करना चाहिए.
उधर, चिकित्सकों के एक धड़े ने इन सलाहों पर अपनी असहमति जाहिर की है. स्त्री रोग विशेषज्ञ मंदाकिनी कुमारी बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में खून आदि की कमी रहती है और मांसाहारी भोजन प्रोटीन, आयरन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ सामान्य है तो सेक्स से भी कोई नुकसान नहीं होता.
2014 में सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा की अगुवाई वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया था, ताकि योग को बढ़ावा दिया जा सके.
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