कुतुबमीनार मामले में आया नया मोड़ सामने आया है. महेंदर ध्वज प्रसाद सिंह ने याचिका लगाई है कि आगरा प्रांत के शासक थे, उनका शासन यमुना से गंगा तक था. कुतुब मीनार समेत दक्षिणी दिल्ली में उनका शासन था, क्योंकि भारत सरकार और आगरा स्टेट के बीच कोई संधि नही हुई थी, इसलिए कुतुब मीनार जिस जमीन पर है उस पर उनका मालिकाना हक है. उनकी इस याचिका पर दोनों पक्ष को जवाब दाखिल करने को कहा है, अब इस याचिका पर सुनाई 24 अगस्त को होगी.
वहीं बता दें कि कुतुब मीनार मामले में आज फैसला नहीं आएगा. पुरातत्व विभाग के अधिवक्ता के हवाले से ये जानकारी सामने आई है. कोर्ट में एक नई एप्लीकेशन फाइल की गई है, जिसकी सुनवाई के बाद फैसला आने की उम्मीद है. इससे पहले कुतुब मीनार मामले में साकेत कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. साकेत कोर्ट ये तय करेगा कि कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली और पूजा का अधिकार दिया जाए या नहीं. इससे पहले सिविल जज याचिका को खारिज कर चुके हैं, जिसके फैसले को अतिरिक्त जिला जज की अदालत में चुनौती दी गई थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने दलील दी थी कि हमारी तीन अपील हैं जिसे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ख़ारिज किया था. हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि 27 मंदिर को तोड़ कर यहां कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनाई गई है. जैन ने अधिसूचना का जिक्र करते हुए कहा कि उसके तहत ही कुतुब मीनार परिसर को स्मारक के रूप में अधिसूचित किया गया था. मुस्लिमों ने यहां कभी नमाज़ नहीं अदा की. मुस्लिम आक्रमणकारी मंदिरों को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण कर इस्लाम की ताकत दिखाना चाहते थे. इस्लाम के उसूलों के मुताबिक नमाज अदा करने के लिए मुसलमान इसका इस्तेमाल कभी नहीं करते. सुनवाई के दौरान एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज निखिल चोपड़ा ने याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन से पूछा, 'आप कोर्ट से क्या राहत चाहते हैं? क्या आप परिसर के कैरेक्टर को बदलना चाहते हैं? ' इस पर जैन ने कहा कि हम पूजा का अधिकार चाहते हैं क्योंकि मुख्य देवता तीर्थंकर ऋषभदेव और भगवान विष्णु के सहित 27 देव मंदिर कुतुबुद्दीन ऐबक तोड़कर ये ढांचा बनाया गया है. कोर्ट आदेश देगा तभी ASI अपने नियमों में ढील दे सकता है.
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