नयी दिल्ली विश्व पुस्तक मेला (एनडीडब्ल्यूबीएफ) कोरोना वायरस के कारण तीन साल तक ऑनलाइन आयोजित होने के बाद इस बार अपने पुराने अंदाज में लौटेगा, जिसमें 30 से अधिक देश और एक हजार से अधिक प्रकाशक एवं प्रदर्शक भाग लेंगे. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनिन और एनबीटी के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा सहित अन्य गणमान्य लोग इस साल 25 फरवरी को मेले का उद्धाटन करेंगे.
'आजादी का अमृत महोत्सव' थीम पर आधारित इस साल के पुस्तक मेले में फ्रांस मेहमान देश के रूप में शामिल होगा और नोबेल पुरस्कार विजेता एनी एर्नाक्स सहित 16 फ्रांसीसी लेखक एवं 60 से अधिक प्रकाशक, साहित्यिक एजेंट और सांस्कृतिक प्रतिनिधि इसमें भाग लेंगे.
फ्रांस के दूतावास में सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार इमैनुएल लेब्रन-डेमियंस ने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि आज अधिक से अधिक फ्रांसीसी लोग भारतीय साहित्य में रुचि ले रहे हैं. फ्रांस और भारत साहित्य में दो बड़े देश हैं. फ्रांस से दर्जनों लोग आ रहे है. लेखकों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एनी एर्नाक्स कर रही हैं, जो नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. कुल 16 पुरस्कार विजेताओं के साथ फ्रांस साहित्य के क्षेत्र में दुनिया में सबसे अधिक नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाला देश है.''
इस मौके पर एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने बताया कि पुस्तक मेले में आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर कई साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा. एनडीडब्ल्यूबीएफ एक अलग पवेलियन में जी20 देशों के प्रतिभागियों की मेजबानी करेगा. नौ दिवसीय इस साहित्यिक कार्यक्रम में 50 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मलिक ने बताया कि अश्विन सांघी, विक्रम संपत, प्रीति शेनॉय और आनंद नीलकांतन सहित प्रसिद्ध लेखक मेले में पुस्तक विमोचन कार्यक्रमों, संवाद एवं पैनल चर्चा में भाग लेंगे.
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास पुस्तक मेले के 50 वर्ष पूरे होने पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेगा. मेले में बच्चों के लिए टिकट का मूल्य 10 रुपये और वयस्कों के लिए 20 रुपये रखा गया है, जबकि स्कूली छात्रों, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है.
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