दिल्ली की पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) का शनिवार को निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक शीला दीक्षित पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं और उन्हें शुक्रवार की सुबह सीने में जकड़न की शिकायत के बाद फोर्टिस-एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां दोपहर बाद तीन बजकर 55 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. दिल्ली में विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने शेष हैं, ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) के अचानक निधन से दिल्ली कांग्रेस के समक्ष एक ऐसे नेता की तलाश करने की चुनौती उत्पन्न हो गई है जो उनकी जिम्मेदारी संभाल सके.
3 बार मुख्यमंत्री, एक बार राज्यपाल और सांसद रहीं शीला दीक्षित का निधन
शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) के निधन के बाद अब दिल्ली कांग्रेस इकाई के सामने दो चुनौतियां हैं. नया नेता तलाशना और पार्टी में एकजुटता कायम करना. नए नेता को दिल्ली इकाई को एकजुट करने की चुनौती से भी जूझना पड़ सकता है. एक नेता ने कहा, ‘नेताओं की मौजूदा जमात में कोई भी दीक्षित की लोकप्रियता से मेल नहीं खाता है. तीन कार्यकारी अध्यक्षों हारुन युसूफ, देवेन्द्र यादव और राकेश लिलोठिया क्रमश: वरिष्ठ नेताओं जे पी अग्रवाल, ए के वालिया और सुभाष चोपड़ा से कनिष्ठ है.' नेता ने कहा, ‘दीक्षित के अचानक निधन से दिल्ली कांग्रेस बुरी तरह से प्रभावित हुई है जो इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी.
15 साल की उम्र में जवाहर लाल नेहरू से मिलने पैदल ही निकल पड़ी थीं शीला दीक्षित
वर्ष 2013 के बाद से हर प्रमुख चुनाव में तीसरे स्थान पर रह रही कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहकर आम आदमी पार्टी कुछ हद तक किनारे करने में सफल रही थी और उसे कुछ उम्मीद दिखाई दी थी. कांग्रेस पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. दीक्षित (Sheila Dikshit) अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही थीं. अब पार्टी को चुनाव से पहले संगठन का नेतृत्व करने के लिए एक नये नेता की तलाश करनी होगी. (इनपुट-भाषा)
Video: शीला दीक्षित को पसंद थी दिल्ली में कांग्रेस के पुनरुत्थान की चुनौती
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