पुरानी संसद को छोड़ आज नई संसद में जाएंगे पीएम और सांसद
75 सालों के संसदीय इतिहास को संजोए हुए पुराने संसद भवन को आज अल
- सूत्रों के मुताबिक पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक फोटो सेशन और एक समारोह के बाद, प्रधानमंत्री मोदी संविधान की एक प्रति लेकर नए संसद भवन तक जाएंगे. इस दौरान सभी सांसद उनके पीछे पैदल चलेंगे और बाद में नई संसद में अपने-अपने चैंबर में पहुंचेंगे.
- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जेएमएम नेता शिबू सोरेन और बीजेपी सांसद मेनका गांधी को वरिष्ठतम सांसदों के रूप में संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष समारोह को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है.
- पुराना संसद भवन 1927 में बनाया गया था. अब यब इमारत 96 साल पुरानी हो चुकी है. इसे वर्तमान समय की जरूरतों के लिए अपर्याप्त माना जा रहा था. यहां पर नई तकनीकी सुविधाओं और ऑफिसों की कमी थी इसी वजह से नई संसद भवन का निर्माण कराया गया है. लेकिन 96 साल पुरानी संसद पंडित जवाहरलाल नेहरू के भाषण और संविधान को अपनाए जाने की साक्षी है.
- सूत्रों के मुताबिक ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने पुराने संसद भवन को डिजाइन किया था. यह इमारत देश की पुरातात्विक संपत्ति है इसे संरक्षित किया जाएगा.
- संसद के विशेष सत्र के पहले दिन पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 'हम भविष्य की आशा के साथ इस इमारत को छोड़ रहे हैं.आज उन 7,500 सांसदों को याद करने का दिन है, जिन्होंने यहां सेवा की है. मैं इस इमारत की हर एक ईंट को सलाम करता हूं'.
- पुरानी संसद भवन में आयोजित विशेष सत्र के पहले दिन पीएम मोदी ने उनके 9 साल के कार्यकाल के दौरान किए गए फैसलों का भी जिक्र किया. इसमें अनुच्छेद 370 को खत्म करना और जीएसटी की शुरुआत शामिल है.
- पीएम मोदी ने मई में दिल्ली के कर्तव्य पथ पर बने नए संसद भवन का उद्घाटन किया था. इस भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य बैठ सकते हैं. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए लोकसभा कक्ष में 1,280 सांसद बैठ सकते हैं.
- हर संसद सदस्य के पास पुनर्विकसित श्रम शक्ति भवन में 40 वर्ग मीटर का वर्क स्पेस होगा, यह 2024 तक पूरा हो जाएगा. राष्ट्रीय अभिलेखागार भी पुराने भवन से नए भवन में ट्रांसफर किया जाएगा.
- चार मंजिला नई संसद का बना हुआ क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है. इसके तीन मुख्य द्वार हैं, जिनमें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार शामिल हैं. वीआईपी, सांसदों और आने-जाने वालों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं.
- नए संसद भवन को बनाने के लिए मंदिरों और धर्मग्रंथों से प्रेरणा ली गई है. इसमें जन जननी जन्मभूमि नाम की एक दीवार है, जिसको ग्रासरूट आर्टिस्टों ने तैयार किया है. संगीत, शिल्प और वास्तुकला को प्रदर्शित करने के लिए तीन गैलरी भी हैं. सूत्रों के मुताबिक यह इमारत देश भर के कारीगरों और मूर्तिकारों के योगदान के साथ देश की गौरवशाली विरासत को दिखाती है.
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