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This Article is From Feb 22, 2015

पूर्व अधिकारियों ने कहा, प्रशासनिक-तंत्र की लापरवाही का नतीजा है कॉरपोरेट जासूसी

पूर्व अधिकारियों ने कहा, प्रशासनिक-तंत्र की लापरवाही का नतीजा है कॉरपोरेट जासूसी
मामले में गिरफ्तार लोग
नई दिल्ली:

पूर्व सरकारी अधिकारियों ने कॉरपोरेट जासूसी घोटाला कांड को प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का नतीजा बताते हुए कहा कि संवेदनशील और गोपनीय मामलों को संभालने की मानक परिचालन प्रक्रियाओं का पालन न करने से ऐसी बातें संभव होती है। कुछ पूर्व अधिकारियों ने कार्यालयों में गोपनीय मामलों को देखने के तौर तरीकों की आलोचना भी की है।

पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यन ने कहा, 'संवेदनशील व वगीकृत सूचनाओं के निपटने के बारे में सरकारी निर्देश हैं। परिचालन प्रक्रिया का भी एक मानक है। ऐसा लगता है कि इस मामले में किसी स्तर पर लापरवाही बरती गई।' भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी ईएएस शर्मा ने दस्तावेजों को अनावश्यकत ही 'गोपीनीय' या 'वगीकृत' करार देने के आदत बन गई है। ऐसा करने से वास्तवितक रूप से 'गोपनीय' दस्तावेजों का महत्व समाप्त हो जाता है।

शर्मा ने कहा, 'रक्षा व पेट्रोलियम जैसे संवेदनशील मंत्रालयों में आगंतुकों तथा गोपनीय फाइलों को संभालने की एक कड़ी सुरक्षा प्रणाली होनी चाहिए।' एक अन्य पूर्व आईएएस अधिकारी जी सुंदरम ने सुरक्षा प्रणाली की आलोचना करते हुए, इसे कड़ा किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'लोगों में ढिलाई है। संवेदनशील मंत्रालयों के लिए सुरक्षा नियमन हैं, जिन्हें मजबूत किया जाना चाहिए।' यह पूछे जाने पर कि क्या निजी क्षेत्र की कंपनियों के अधिकारियों सुंदरम ने व्यावहारिक रूप से यह कर पाना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा, 'निजी कंपनियों के अधिकारियों पर रोक संभव नहीं है। पूर्व में इस तरह के निर्देश होते थे कि वे उप सचिव स्तर के नीचे के अधिकारी से मुलाकात नहीं करेंगे। इसके अलावा इस तरह की बैठकें ऐसे स्थान पर होनी चाहिए, जहां संवेदनशील दस्तावेज न रखे हों।' सुंदरम पर्यटन सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त एन विट्टल का मानना है कि इस तरह की घटनाओं के पीछे व्यक्तिगत लालच की मुख्य भूमिका होती है।
'व्यक्ति की ईमानदारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। दुर्भाग्य से आज प्रणाली के साथ समझौता किया जा रहा है जिससे इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।' पेट्रोलियम मंत्रालय में दस्तावेज लीक मामले में मंत्रालय के कर्मचारियों, बिचौलियों व निजी क्षेत्र की उर्जा कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारियों सहित 12 लोगों ने दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

पूर्व सालिसिटर जनरल विश्वजित भट्टाचार्य ने कहा कि ऐसी चीजों के लिए लोभ और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि इस मामले में सरकारी कर्मचारियों और निजी कंपनियों के अधिकारियों के बीच साठ-गांठ थी। इसे रोकने के लिए संवदनशील पदों को पुनर्गठित किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा मीडिया रपटों के अनुसार यह गोरखधंधा लम्बे समय से चल रहा था, 'मुझे खुशी है कि मोदी सरकार ने इसको बेनकाब किया है।'

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