
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सतलज यमुना लिंक (SYl) नहर मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया जल युद्ध की कगार पर आ चुकी है। ऐसे में जितनी भी जल संधि हुई है उस पर एक बार फिर से पुनर्विचार करने की जरूरत है।
पंजाब सरकार ने कहा कि ये मामला प्रेसिडेंट रेफरेंस का नहीं है। प्रेसिडेंट रेफरेंस से कोई हल नहीं निकलने वाला। पंजाब ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में हमेशा न्यूट्रल भूमिका अदा की है। दरअसल इस मामले में कोई कुछ करना ही नहीं चाहता। कोई चाहता ही नहीं इसका कोई समाधान निकले। हमारी स्थिति ऐसी हो गई है जैसे किसी ने हमारे हाथों को पीछे कस के बांध दिया हो और हम अपना बचाव करने में असमर्थ हो गए हैं। पंजाब सरकार ने ये भी कहा कि ये किसी बैंकों के बीच का बंटवारा नहीं है कि आधा पैसा तुम ले लो आधा हम। ये लोगों के जीवन का मामला है।'
पंजाब सरकार ने कहा कि ये बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला है। इस मामले को ट्रिब्यूनल भेजा जाना चाहिए था लेकिन एक दशक से भी ज्यादा का वक़्त हो गया, ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हुआ।
वहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा कि आपने पूरे मसले को बहुत ही खूबसूरत तरीके कोर्ट के सामने रखा। केंद्र सरकार ने तो पूरे मसले को ऐसे पेश किया था और कहा था कि ये मामला ट्रिब्यूनल के लायक नहीं है। न ही दो राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर है बल्कि ये तो महज़ एक नहर बनाने का मामला है जैसे कहीं कोई इमारत बनानी हो।
मामले की सुनवाई के अंत में पंजाब सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील राम जेठ मालानी ने बहस करते हुए कहा कि हम वही मांग रहे हैं जिसपर हमारा हक है। अपने किसानों के लिए पानी ताकी वो आत्महत्या न करें। मामले की सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी।
पंजाब सरकार ने कहा कि ये मामला प्रेसिडेंट रेफरेंस का नहीं है। प्रेसिडेंट रेफरेंस से कोई हल नहीं निकलने वाला। पंजाब ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में हमेशा न्यूट्रल भूमिका अदा की है। दरअसल इस मामले में कोई कुछ करना ही नहीं चाहता। कोई चाहता ही नहीं इसका कोई समाधान निकले। हमारी स्थिति ऐसी हो गई है जैसे किसी ने हमारे हाथों को पीछे कस के बांध दिया हो और हम अपना बचाव करने में असमर्थ हो गए हैं। पंजाब सरकार ने ये भी कहा कि ये किसी बैंकों के बीच का बंटवारा नहीं है कि आधा पैसा तुम ले लो आधा हम। ये लोगों के जीवन का मामला है।'
पंजाब सरकार ने कहा कि ये बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला है। इस मामले को ट्रिब्यूनल भेजा जाना चाहिए था लेकिन एक दशक से भी ज्यादा का वक़्त हो गया, ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हुआ।
वहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा कि आपने पूरे मसले को बहुत ही खूबसूरत तरीके कोर्ट के सामने रखा। केंद्र सरकार ने तो पूरे मसले को ऐसे पेश किया था और कहा था कि ये मामला ट्रिब्यूनल के लायक नहीं है। न ही दो राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर है बल्कि ये तो महज़ एक नहर बनाने का मामला है जैसे कहीं कोई इमारत बनानी हो।
मामले की सुनवाई के अंत में पंजाब सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील राम जेठ मालानी ने बहस करते हुए कहा कि हम वही मांग रहे हैं जिसपर हमारा हक है। अपने किसानों के लिए पानी ताकी वो आत्महत्या न करें। मामले की सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी।
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