
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर अक्सर देखने को मिलता है कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की एक जर्जर बस राजधानी में बने कई फ्लाईओवर में से एक पर चढ़ने के लिए संघर्ष करती दिखाई देती है. फ्लाईओवर के ऊपर पहुंचने से पहले, बस आखिरी बार पूरी ताकत लगाती है और फिर रुक जाती है. रुकी हुई बस के कारण सड़क की एक लेन कभी-कभी डेढ़ लेन अवरुद्ध हो जाती है और यातायात जाम हो जाता है. इस समस्या का लोगों को दिल्ली में लगभग प्रतिदिन सामना करना पड़ता है.
'पीटीआई-भाषा' को दिल्ली की यातायात पुलिस से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली में हर दिन डीटीसी या क्लस्टर सेवा की औसतन 79 बस खराब हुईं तथा इस समस्या का समाधान करने में करीब 40 मिनट का समय भी लगा. इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन में रहने वाले राजेश विश्वकर्मा रोजाना कनॉट प्लेस स्थित अपने कार्यालय आते-जाते हैं. इस स्थिति से तंग आकर वह कहते हैं कि वह अक्सर विकास मार्ग पर बसों में खराबी का सामना करते हैं, जो यमुना ब्रिज से होते हुए आईटीओ तक जाती हैं.
राजेश विश्वकर्मा ने कहा, ‘‘स्थिति तब और बदतर हो जाती है जब सुबह या शाम के व्यस्त समय में कोई बस खराब हो जाती है.'' सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सीएनजी से चलने वाली इन बसों की समय-सीमा समाप्त होने वाली है और इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा तथा जल्द ही इनकी जगह नयी इलेक्ट्रिक बस के बेड़ों को सड़कों पर उतारा जाएगा, जिससे उम्मीद है कि शहर में यातायात जाम कम हो जाएगा.
बीच रास्ते में बस खराब होने की समस्या से दिल्ली की यातायात पुलिस के अधिकारी भी खासे परेशान हैं, जो नियमित रूप से बस के खराब होने के कारण प्रभावित यातायात के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं. इस समस्या से परेशान अमिति दवे ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर दिल्ली की यातायात पुलिस के एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा कि हाल ही में आईआईटी और नयी दिल्ली के बीच बाहरी रिंग रोड पर एक बस रुकने के बाद वह डेढ़ घंटे तक आईआईटी फ्लाईओवर के पास यातायात जाम में फंसी रहीं.
बस के बीच सड़क पर खराब होने के कारण लोगों को कई घंटों तक असुविधा होती है, क्योंकि राजधानी में अधिकांश फ्लाईओवर और सड़कें दो लेन की हैं. एक लेन अवरुद्ध होने से, हॉर्न बजाने वाली कारों, टेम्पो, ऑटोरिक्शा, मोटरसाइकिलों और अन्य सभी प्रकार के वाहनों की कतार से सड़क अवरुद्ध हो जाती है. इस परेशानी से अधीर होकर कई वाहन चालक एक-दूसरे का रास्ता काटकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, जिससे जाम की स्थिति और भी बुरी हो जाती है.
अक्सर बस चलते समय खराब हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप यातायात लगभग पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है और अधिक अव्यवस्था होती है. पुलिस उपायुक्त (यातायात) एस के सिंह ने बताया कि किसी बस के खराब होने के दौरान पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसके कारण लगने वाला भारी यातायात जाम है. चूंकि, इन बसों को क्रेन से नहीं खींचा जा सकता, इसलिए हमें परिवहन विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई ब्रेकडाउन वैन पर निर्भर रहना पड़ता है.
दिल्ली परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये बसें 10 से 12 साल पुरानी हैं. मानवीय दृष्टि से, वे अपनी सेवानिवृत्ति से काफी आगे निकल चुकी हैं. ये युद्ध के हमारे बूढ़े हो चुके घोड़े हैं, जिन्होंने टूट-फूट से संघर्ष किया है. वे अक्सर अपनी क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर यात्रा करती हैं.'' दिल्ली परिवहन निगम के पास 7,582 बस का बेड़ा है. इनमें से 2,644 बस को 2007 और 2010 के बीच राज्य के स्वामित्व वाले सार्वजनिक ट्रांसपोर्टर द्वारा खरीदा गया था.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार उन बसों को चरणबद्ध तरीके से हटा रही है और अगले साल तक 80 प्रतिशत बस इलेक्ट्रिक होंगी. कैलाश गहलोत ने कहा, ‘‘ डीटीसी बसों का बेड़ा पुराना है और हम इलेक्ट्रिक बसें शुरू करके पुरानी बसों को हटाने की दिशा में काम कर रहे हैं. हमने अब तक 1650 इलेक्ट्रिक बस को बेड़े में शामिल किया है,और अगले साल तक 80 प्रतिशत बस इलेक्ट्रिक होंगी.''
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