सूत्रों के अनुसार, सिद्धू की हाल ही में दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई है
चंडीगढ़:
बीजेपी से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस के साथ रिश्ते को लेकर अभी भी असमंजस बरकरार है. वैसे दोनों पक्षों की ओर से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस बारे में कोई घोषणा जल्द ही हो सकती है.
इस समय दिल्ली में मौजूद सिद्धू की हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई है. जानकारी के मुताबिक क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू के साथ बातचीत के मामले को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली टीम देख रही है प्रशांत, उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव रणनीति तैयार करने में कांग्रेस पार्टी की मदद कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, मामले में अकेली रुकावट यह है कि सिद्धू हाल ही में गठित आवाज-ए-पंजाब के अगले वर्ष की शुरुआत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में विलय को लेकर अनिच्छुक हैं. वे केवल चुनाव पूर्ण गठबंधन चाहते हैं. दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस के प्रमुख और पार्टी की ओर से संभावित मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते हैं कि सिद्धू पार्टी ज्वाइन करें.
सूत्र बताते हैं कि दरअसल, कैप्टन उस स्थिति को टालना चाहते हैं जिसमें चुनाव परिणाम नजदीकी होने की स्थिति में नया सहयोगी, किसी दूसरी पार्टी (आम आदमी पार्टी) के साथ गठबंधन न कर ले. जुलाई में राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद से सिद्धू की 'आप' से लंबी बातचीत का दौर चला है और इसे वे अपनी पूर्व पार्टी, बीजेपीके विकल्प के तौर पर देख रहे थे.
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की ओर से सिद्धू को प्रस्ताव किया गया है कि पार्टी के पंजाब में सत्ता में आने की स्थिति में कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद संभालेंगे जबकि सिद्धू को उनकी अमृतसर संसदीय सीट वापस दी जाएगी. नवजोत एक दशक तक इस सीट से सांसद रहे हैं लेकिन 2014 में बीजेपी ने उन्हें टिकट से वंचित कर दिया था. इस सीट से फिलहाल अमरिंदर सांसद हैं. कांग्रेस ने सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को भी उसी विधानसभा सीट से उतारने, जिससे वह बीजेपी विधायक थीं, और उन्हें पंजाब में मंत्री पद देने का वादा किया है.
समझा जाता है कि नवजोत सिद्धू के प्रमुख साथी और आवाज-ए-हिंद में उनके सहयोगी, पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह और पंजाब में निर्दलीय विधायक बैंस ब्रदर्स, कांग्रेस में विलय के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि सिद्धू की इस मामले में उनके साथ रहें. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ दूसरे राउंड की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद सिद्धू ने इस पार्टी के खिलाफ हमलावर तेवर अपना लिए थे. सिद्धू ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल को सिर्फ ऐसे लोगों के दरकार है जो उनकी हां में हां मिलाएं.
इस समय दिल्ली में मौजूद सिद्धू की हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई है. जानकारी के मुताबिक क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू के साथ बातचीत के मामले को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली टीम देख रही है प्रशांत, उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव रणनीति तैयार करने में कांग्रेस पार्टी की मदद कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, मामले में अकेली रुकावट यह है कि सिद्धू हाल ही में गठित आवाज-ए-पंजाब के अगले वर्ष की शुरुआत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में विलय को लेकर अनिच्छुक हैं. वे केवल चुनाव पूर्ण गठबंधन चाहते हैं. दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस के प्रमुख और पार्टी की ओर से संभावित मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते हैं कि सिद्धू पार्टी ज्वाइन करें.
सूत्र बताते हैं कि दरअसल, कैप्टन उस स्थिति को टालना चाहते हैं जिसमें चुनाव परिणाम नजदीकी होने की स्थिति में नया सहयोगी, किसी दूसरी पार्टी (आम आदमी पार्टी) के साथ गठबंधन न कर ले. जुलाई में राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद से सिद्धू की 'आप' से लंबी बातचीत का दौर चला है और इसे वे अपनी पूर्व पार्टी, बीजेपीके विकल्प के तौर पर देख रहे थे.
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की ओर से सिद्धू को प्रस्ताव किया गया है कि पार्टी के पंजाब में सत्ता में आने की स्थिति में कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद संभालेंगे जबकि सिद्धू को उनकी अमृतसर संसदीय सीट वापस दी जाएगी. नवजोत एक दशक तक इस सीट से सांसद रहे हैं लेकिन 2014 में बीजेपी ने उन्हें टिकट से वंचित कर दिया था. इस सीट से फिलहाल अमरिंदर सांसद हैं. कांग्रेस ने सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को भी उसी विधानसभा सीट से उतारने, जिससे वह बीजेपी विधायक थीं, और उन्हें पंजाब में मंत्री पद देने का वादा किया है.
समझा जाता है कि नवजोत सिद्धू के प्रमुख साथी और आवाज-ए-हिंद में उनके सहयोगी, पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह और पंजाब में निर्दलीय विधायक बैंस ब्रदर्स, कांग्रेस में विलय के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि सिद्धू की इस मामले में उनके साथ रहें. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ दूसरे राउंड की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद सिद्धू ने इस पार्टी के खिलाफ हमलावर तेवर अपना लिए थे. सिद्धू ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल को सिर्फ ऐसे लोगों के दरकार है जो उनकी हां में हां मिलाएं.
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