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This Article is From Sep 17, 2015

जन्मदिवस विशेष : पीएम मोदी की वह बातें जिनके लिए होती है सबसे ज्यादा चर्चा

जन्मदिवस विशेष : पीएम मोदी की वह बातें जिनके लिए होती है सबसे ज्यादा चर्चा
पीएम नरेंद्र मोदी के यूएई दौरे की फाइल फोटो
नई दिल्ली: सन् 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा था तब पीएम नरेंद्र मोदी रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों में गुजरने वाले सैनिकों की सेवा में जुटे हुए थे। स्टेशन पर चाय बेचने वाले तब के 15 वर्षीय तरुण पीएम मोदी आज 65 साल के हो गए। वह आज भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पाकिस्तान पर भारत की विजय का स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहे हैं।

सन् 1965 में पीएम नरेंद्र मोदी भले ही देश के लिए सेना का अंग बनकर नहीं लड़ रहे थे, लेकिन देश के लिए लड़ना शायद उन्होंने तभी सीख लिया। उनकी देश के लिए लड़ाई अब प्रखर होती जा रही है। देश के चहुंमुखी विकास के लिए उनकी नित नई कोशिशें जारी हैं। अमेरिका, चीन और नेपाल, भूटान जैसे पड़ोसी देशों के साथ-साथ खाड़ी के देशों से भी कूटनीतिक संबंध मजबूत करने में सफल रहे पीएम की अगली लड़ाई भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए है।   

क्या हिटलर हैं नरेंद्र मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के बारे में अलग-अलग विचार सामने आते रहे हैं। उनका व्यक्तित्व अबूझ है। कोई उन्हें दक्षिणपंथी विचारधारा वाला कट्टरपंथी मानता है तो कोई उदारवादी। कोई उनकी तुलना इंदिरा गांधी जैसी दृढ़ नेत्री से करता है तो कोई उन्हें हिटलर की तरह तानाशाह मानता है। अलग-अलग घटनाओं, स्थितियों के साथ जोड़कर देखें या छोड़कर, उनका व्यक्तित्व कुछ अबूझा ही लगता है।

जो भी हो, दृढ़ निश्चयी तो वह हैं, और वह यह लगातार साबित भी कर रहे हैं। रही बात तानाशाही की तो फिलहाल ऐसे कोई हालात नहीं बने जो उन्हें तानाशाहों की श्रेणी में ले जाकर खड़ा करें। हां यदि उनकी हिटलर से तुलना की जाती है तो एक समानता तो साफ तौर पर नजर आती है, असीम राष्ट्रवादी होना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनकी पाठशाला है, लेकिन इसके बावजूद वह वास्तव में संघ, पार्टी और भगवा ब्रिगेड से परे अपने फैसले लेते रहे हैं। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने सैकड़ों मंदिरों के अवैध निर्माण धराशायी कराए थे। निश्चित ही इस तरह के फैसले जो सीधे तौर पर समाज के हित में ही थे, उनको राजनीतिक लाभ कम, नुकसान देने वाले ज्यादा साबित हो सकते थे।                   

देश की जनता से किया सीधा संवाद
वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने देश की जनता से सीधा संवाद शुरू किया है। वह चाहे रेडियो, टीवी हो या इंटरनेट पीएम मोदी इन संचार साधनों का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। संचार साधन तो पहले भी थे, लेकिन सामाजिक लाभ के साथ-साथ राजनीतिक लाभ के लिए इनके इस तरह सटीक उपयोग की युक्ति किसी ने नहीं अपनाई। ट्विटर पर देश के सबसे लोकप्रिय नेता पीएम मोदी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर सक्रिय रहते हैं। वे युवा पीढ़ी के साथ कदम मिलाते हुए सेल्फी ले रहे हैं।     

देश के प्रति निष्ठा की कविता
पीएम नरेंद्र मोदी ने भले ही आजादी के बाद जन्म लेने के कारण पराधीनता न देखी हो, लेकिन वह बचपन से ही देश के प्रति अटूट श्रद्धा से भरे रहे हैं। उनके इन मनोभावों का पता उनकी उस कविता से चलता है जो उन्होंने फरवरी 2014 में गुजरात में एक सभा में सुनाई थी। इस कविता की कुछ पंक्तियां हैं-   

सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा/ मेरी धरती मुझसे पूछ रही कब मेरा कर्ज चुकाओगे, मेरा अंबर पूछ रहा कब अपना फर्ज निभाओगे/मेरा वचन है भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा, सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।

पीएम नरेंद्र मोदी प्रेम के भी कवि हैं। उनकी एक रचना में प्रकृति है और प्यार का अहसास भी है। इस कविता की कुछ पंक्तियां हैं-

जिन क्षणों में मुझे तुम्हारे होने का अहसास हुआ है/ मेरे दिमाग के शांत हिमालयी जंगल में/ एक वन अग्नि धधक रही है/ गंभीरता से उठती हुई/ जब मैं अपनी आंखें तुम पर रखता हूं/ मेरे मस्तिष्क की आंख में एक पूर्ण चंद्रमा उदय होता है/ और मैं संपूर्ण पुष्पित चंदन के वृक्ष से झरती महक से भर जाता हूं...

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