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This Article is From Sep 19, 2013

नरेंद्र मोदी कांग्रेस के लिए चुनौती नहीं : जयराम रमेश

फाइल फोटो।

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का कहना है कि आरएसएस को अगर राजनीति करनी है, तो वह परदे से बाहर आए, चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन कराए और फिर चुनाव लड़े। जयराम रमेश ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी कांग्रेस के लिए कोई चुनौती नहीं है। पढ़िए... यह खास बातचीत...

एनडीटीवी : आज सबसे पहला सवाल जो आपकी पार्टी के सामने है वह यह है कि बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को अपना पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है...

जयराम रमेश : नहीं..., यह हमारे सामने सबसे बड़ा सवाल नहीं है... आज हमारे सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम कैसे जनादेश वापस पाएं 2014 में...। ठीक है..., नरेन्द्र मोदी पीएम उम्मीदवार चुने गए हैं बीजेपी की ओर से... यह हकीकत है... लेकिन हमारे लिए वह सबसे बड़ी समस्या नहीं हैं। हमारे लिए समस्याएं अलग हैं... शहरी क्षेत्रों में जनादेश को कैसे बरकरार रखें... ग्रामीण इलाकों में जो हमें समर्थन मिला है उसको हम कैसे और मज़बूत बनाएं... जिन−जिन राज्यों में हमारा गठबंधन टूट चुका है... जहां हम सत्ता में नहीं आ पाए हैं, मिसाल के तौर पर तमिलनाडू और पश्चिम बंगाल में... वहां हम पार्टी का कैसे पुनर्निमाण करें... तो यह मत समझिए कि हम नरेन्द्र मोदी से घबराए हुए हैं... यह बिल्कुल गलत है।

एनडीटीवी : आप अगले चुनाव की तैयारी कर रहे हैं... आपके सामने जो सबसे प्रबल विरोधी दल है...

जयराम रमेश : (रोकते हैं)... उस दल का नाम क्या है...?

एनडीटीवी : बीजेपी...!

जयराम रमेश : नहीं... यह भी आप गलत कह रहे हैं। सिर्फ 8−9 राज्यों में हम बीजेपी के साथ मुकाबले में हैं। कई राज्यों में हम क्षेत्रीय पार्टियों से मुकाबले में हैं। तो, ऐसा नहीं है कि सारे राज्यों में हम बीजेपी से सीधे मुकाबले में हैं। हां, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में हम ज़रूर आमने−सामने होंगे लेकिन महाराष्ट्र में हमारा मुकाबला शिव सेना से है। वहां, बीजेपी शिव सेना का गठबंधन है। लेकिन, इस गलतफहमी में मत रहिएगा कि हमारा मुकाबला इन राज्यों में बीजेपी के साथ है... हमारा मुकाबला आरएसएस के साथ है। असली दावेदार 2014 चुनाव में आरएसएस है। बीजेपी एक मुखौटा है आरएसएस का और पिछले कुछ दिनों में जो घटनाएं घटी हैं वे यह साफ दर्शाती हैं कि असली चाभी नागपुर में है। असली चाभी आरएसएस के हाथ में है। मेरा यही सुझाव है कि आरएसएस को चुनाव आयोग में खुद को रजिस्टर कर लेना चाहिए... एक पॉलिटिकल पार्टी बन जाना चाहिए। ये पिछली सीट पर बैठक ड्राइविंग जो आरएसएस कर रही है वह हमारी राजनीति के लिए अच्छा नहीं है। असली जंग 2014 में कांग्रेस विचारधारा और आरएसएस विचारधारा के बीच में है। कांग्रेस और बीजेपी में नहीं...।

एनडीटीवी : चलिए, मान लेते हैं कि सिर्फ 8−9 राज्यों में ही आपकी लड़ाई बीजेपी से होगी... इन राज्यों में मोदी की दावेदारी कितनी महत्वपूर्ण होगी?

जयराम रमेश : ऐसा मुझे तो नहीं दिखता है। मैं कल भोपाल में था... चार दिन पहले रायपुर में था... ऐसा कुछ नहीं दिखता है। गुजरात में तो ज़रूर असर होगा उनका... लेकिन मैं राजस्थान भी गया था वहां भी उनका असर नहीं दिखा। उनकी अपनी रणनीति है। हमारी अपनी रणनीति है। मेरा यह मानना रहा है और यह हकीकत भी है कि हमारे देश में चुनाव व्यक्तियों के बीच नहीं होते हैं। हमारे देश में चुनाव पार्टियों के बीच में होता है। पार्टी अपनी विचारधारा घोषणापत्र के आधार पर, अपने उम्मीदवारों के आधार पर और अपने कार्यक्रमों के आधार पर चुनाव लड़ती है। हमारा प्रेसि़डेन्शियल फॉर्म नहीं है। हम व्यक्ति को नहीं चुनते हैं।  

एनडीटीवी : यानी, आप नीतियों को सामने रखेंगे...

जयराम रमेश : बिल्कुल... इसको पर्सनैलिटी के आधार पर चलाना हमारे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।

एनडीटीवी : एक तरफ मोदी कांग्रेस को आक्रामक रूप से टार्गेट कर रहे हैं…

जयराम रमेश : ठीक है... यह उनकी रणनीति है...

एनडीटीवी : लेकिन, ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी खुलकर मोदी को काउंटर नहीं कर रही है।

जयराम रमेश : हमारी रणनिति काउंटर करने की नहीं है। हमारी रणनीति यह नहीं है कि हम मोदी की तरफ से हर आलोचना का जवाब दें। हमारी रणनीति सकरात्मक रणनीति है। हमारी रणनीति दूरदर्शी रणनीति है। हमारी रणनीति सबको यह याद दिलाएगी कि 60 साल में हमने क्या किया है। आलोचना अगर होती है तो हम क्यों जवाब दें। हम इस चुनाव को व्यक्तिगत तौर पर नहीं देखते हैं।

एनडीटीवी : राजनाथ सिंह ने कहा है कि कांग्रेस बताए कि उनका पीएम पद का उम्मीदवार कौन है...?

जयराम रमेश : वह क्यों इतना उत्सुक हैं... हम तो नहीं समझते कि हमें अपने पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए। सब लोग जानते हैं कि हमारे पीएम पद का उम्मीदवार कौन है...। कौन हमारे चुनावी अभियान को चला रहे हैं... और जैसा कि हमने कहा कि पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा करना हमारे लोकतांत्रिक प्रणाली और संविधान के खिलाफ है क्योंकि पार्टियां ही लड़ती हैं चुनाव... पार्टियां ही चुनी जाती हैं और फिर पार्टी के सांसद पीएम को चुनते हैं।

एनडीटीवी : आपके पीएम ने कहा है कि राहुल गांधी ही पीएम पद के उम्मीदवार होंगे...

जयराम रमेश : ठीक है पीएम ने कहा... मैं भी कहूंगा... हर कांग्रेस वाला कहेगा... पर हमें औपचारिक तौर पर घोषणा करने की ज़रूरत महसूस नहीं होती।

एनडीटीवी : आपके विरोधी कहते हैं कि अगर आप औपचारिक तौर पर यह कहते हैं कि राहुल गांधी ही पीएम पद के उम्मीदवार होंगे तो चुनाव मोदी बनाम राहुल होगा जो आपको सूट नहीं करता है।

जयराम रमेश : उनका काम है कहना... मोदी बनाम राहुल से बात छोटी हो जाती है। यह मोदी बनाम राहुल से मीडिया को अच्छा साउंडबाइट मिल जाता है आपको... लेकिन यह हकीकत नहीं है। यह हमारी प्रणाली के खिलाफ है और आप पार्टी सिस्टम को खत्म कर देंगे। यह गलत है। पार्टी सर्वोपरि है। व्यक्ति बाद में आता है।

एनडीटीवी : कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ... यह नारा आपने बनाया था... इस बार कुछ नया सोचा है आपने...?

जयराम रमेश : हम दो ऐतिहासिक और प्रगतिशील कानून लाए हैं। खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण कानून... आपका पैसा आपके हाथ कार्यक्रम चल रहा है। हमने जो कई वायदे किए थे हमने पूरा किया और हम यह जनादेश मांगेंगे कि जो हमने पांच साल में किया है उसे और मज़बूत करें और जो करना बाकी है उसे पूरा करने के लिए हमें एक और मौका दें।

एनडीटीवी : आपने भूमि अधिग्रहण बिल का ज़िक्र किया... किसान बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं कि उन्हें इसका फायदा कब से मिलने लगेगा?

जयराम रमेश : अगले दो महीने के अंदर कानून के तहत जो नियम बनने हैं उसे हम तय कर लेंगे और दो से ढाई महीने में नोटिफाई भी कर देंगे। भूमि अधिग्रहण कानून का सारे देश में स्वागत हुआ है। खास तौर पर किसानों दलितों और आदिवासी समुदाय ने स्वागत किया है।

एनडीटीवी : नक्सल−प्रभावित इलाकों में माइनिंग को अनुमति देने के मामले पर आपने सवाल उठाए थे वे आज भी प्रासंगिक दिखाई देते हैं।

जयराम रमेश : बिल्कुल... मेरा यह मानना है कि नक्सल−प्रभावित 88 ज़िलों में जंगल और ज़मीन से जुड़े मुद्दों से अगर हम सही तरीके से निपटें तो काफी हद तक नक्सली समस्या को घटाने में हम सफल होंगे। इस संदर्भ में यह नया कानून विशेष महत्व रखता है क्योंकि पूरा अधिकार ग्राम सभाओं को दिया गया है। अब ज़बरदस्ती भूमि अधिग्रहण नहीं होगा। मुआवज़ा ग्रामीण इलाकों में चार गुना किया गया है और शहरी इलाकों में दो गुना किया गया है... और एक बात बता दूं...  पहली बार हिन्दुस्तान में किसी भी कानून में पुनर्वास का प्रावधान कानून में जोड़ा गया है जो लाखों आदिवासी परिवार बेघर हुए हैं उनको इससे इंसाफ मिलेगा। न्याय मिलेगा। अगर इस कानून हम ईमानदारी से लागू करें तो नक्सल प्रभावित इलाकों में ख़ासतौर पर इस कानून के बनने से नक्सल संगठनों का प्रभाव ज़रूर घटेगा।

एनडीटीवी : इसका दूसरा पहलू भी है। इंडस्ट्री परेशान है। आप पॉलिसी पैरालिसिस से जूझ रहे हैं। आर्थfक विकास दर गिरती जा रही है। इंडस्ट्री की तरफ से यह कहा जा रहा है कि इस कानून की वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ेगा। बिजनेस करना एक महंगा सौदा होगा।

जयराम रमेश : देखिए, शहरीकरण और औद्योगिकरण अनिवार्य है और इसे और तेज़ी से आगे बढ़ाना है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। यह हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य होना चाहिए। ज़मीन की ज़रूरत अगर आपको है तो आप ज़मीन ख़रीदते क्यों नहीं हैं। आप सरकारों पर क्यों निर्भर होते हैं अधिग्रहण के लिए। हमने ख़रीद पर कोई प्रतिबंध तो नहीं लगाया है। यह क़ानून सिर्फ भूमि अधिग्रहण पर लागू होता है। लीज़िंग भी एक विकल्प है जिसका प्रावधान हमने इसमें जोड़ा है। यह सुझाव बीजेपी की तरफ से आया था। किस नियम के तहत लीज़िंग होगा यह हमने राज्यों पर छोड़ा है। कोई भी कानून अगर किसानों के पक्ष में है, दलित और आदिवासी के पक्ष में है, भूमिहीनों के पक्ष में है तो वह राष्ट्रीय हित में ज़रूर है। ठीक है, अगर आप कुछ मुआवज़ा दे रहे हैं वो चार गुना हो जाएगा। इससे फाइनेंशियल कॉस्ट बढ़ेगी लेकिन सामाजिक कॉस्ट घटेगी। आज टप्पल, भट्टा परसौल, नियामगिरि से लेकर भावनगर तक सभी राज्यों में आपको ज़मीन से जुड़े हुए जनआंदोलन दिखाई दे रहे हैं। किसानों में नाराज़गी है कि आप उनकी ज़मीन ले रहे हैं और उनको सही मुआवज़ा नहीं मिल रहा है। नए क़ानून में जो प्रावधान किया गया है उससे ज़बर्दस्ती ज़मीन अधिग्रहण करना संभव नहीं होगा।

एनडीटीवी : रियल स्टेट सेक्टर की तरफ से यह कहा गया है कि नया घर बनाना महंगा हो जाएगा जिसका बोझ मध्यम वर्ग पर पड़ेगा।

जयराम रमेश : अगर बिल्डर फ्लैट बनाना चाहते हैं तो वे जाकर ज़मीन ख़रीदें। वे भूमि अधिग्रहण क्यों करें। अगर आप अपार्टमेंट बनाना चाहते हैं, शहरीकरण करना चाहते हैं तो जाकर ज़मीन ख़रीदिए। हमने ज़मीन ख़रीद पर कोई प्रतिबंध तो नहीं लगाया है। हमने कहा है कि अगर आप बिल्डरों के लिए अधिग्रहण करना चाहते हैं तो साफ़ कहिए ना पहले। यह क्या कि आप सामाजिक उपयोग के नाम पर अधिग्रहण करते हैं और आप टेबल के नीचे ज़मीन बिल्डरों को दे देते हैं। आपने देखा है कई राज्यों में बहुत बेइंसाफ़ी हुई है अत्याचार हुआ है क्योंकि 1894 का कानून एक तानाशाही कानून था। अंग्रेजों के ज़माने में बनाया गया कानून था। अब ग्रामसभा को पूरा अधिकार दिया गया है अगर 80 फीसदी किसानों ने लिखित में अपनी अनुमति नहीं दी तो आप निजी कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं कर सकते।

एनडीटीवी : आपने पिछले साल सत्याग्रहियों से वायदा किया था कि आप हर भूमिहीन ग़रीब परिवार को 10 परसेंट ज़मीन घर बनाने के लिए दिलाएंगे। कितनी जल्दी आप अपना वादा पूरा करने वाले हैं...?

जयराम रमेश : हमने एक मसौदा तैयार किया है। उस मसौदे को मैंने राज्यों और सभी मंत्रालयों को भेजा है। मैं उम्मीद करता हूं कि मैं अगले शीतकालीन सत्र में संसद में यह विधेयक पेश करने की स्थिति में होउंगा जिसके तहत हर भूमिहीन परिवार को घर बनाने के लिए ज़मीन देना का अधिकार होगा।

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