जस्टिस नानावती आयोग ने वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों पर अपनी दूसरी और अंतिम रिपोर्ट अपने गठन के 12 साल बाद आज मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को सौंप दी। कुल 12 साल की इस अवधि में आयोग का कार्यकाल 24 बार बढ़ाया गया।
गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। इनमें से ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के थे।
नानावती आयोग में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस (रिटायर्ड) जीटी नानावती और हाई कोर्ट के जस्टिस (रिटायर्ड) अक्षय मेहता शामिल हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि आयोग के सदस्यों ने आनंदी बेन पटेल के आवास पर जा कर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपी।
आयोग के 'टर्म ऑफ रेफरेन्स' (टीओआर) में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों, सरकार और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों तथा दक्षिण पंथी संगठनों के सदस्यों सहित प्रदेश के सभी पदाधिकारियों की वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान भूमिका की जांच करना शामिल था।
न्यायमूर्ति नानावती ने बताया 'हमने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है जो 2,000 से अधिक पृष्ठों की है।' अधिकारियों ने बताया 'आयोग की अंतिम रिपोर्ट वर्ष 2002 में साबरमती ट्रेन के डिब्बे में आग लगाए जाने और उसके बाद हुए दंगों की जांच के लिए तैयार की गई और इसे मुख्यमंत्री को सौंप दिया गया।'
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