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This Article is From Nov 24, 2023

"सेना में अपने बच्‍चों को भेजने वालों को मेरा सलाम...": शहीद कैप्टन एम. वी. प्रांजल के पिता

कैप्टन प्रांजल (29) बुधवार को राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. मैसूर के रहने वाले सेना के अधिकारी '63 राष्ट्रीय राइफल्स' से थे.

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सुरक्षा बलों के साथ 36 घंटे तक चली मुठभेड़
लश्कर-ए-तैयबा के एक शीर्ष कमांडर सहित दो आतंकवादी मारे गये
कैप्टन प्रांजल के परिवार में उनकी पत्नी अदिति जी. हैं
नई दिल्‍ली:

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए पांच जवानों को सेना और पुलिस ने शुक्रवार को सुबह श्रद्धांजलि अर्पित की. दरमसाल के बाजीमल इलाके में बुधवार और बृहस्पतिवार को सुरक्षा बलों के साथ 36 घंटे तक चली मुठभेड़ में अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष कमांडर सहित दो आतंकवादी मारे गये. इस दौरान दो कैप्टन सहित पांच सैनिक भी शहीद हो गये.

देश को इन्‍होंने दी शहादत 
आतंकियों से मुकाबला करते हुए अपनी जान न्योछावर करने वाले कर्नाटक के मंगलोर के निवासी कैप्टन एम वी प्रांजल (63 राष्ट्रीय राइफल्स), उत्तर प्रदेश के आगरा के निवासी कैप्टन शुभम गुप्ता (9 पैरा), जम्मू-कश्मीर के पुंछ के निवासी हवलदार अब्दुल माजिद, उत्तराखंड के नैनीताल रहने वाले लांस नायक संजय बिष्ट और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पैराट्रूपर सचिन लौर हैं. 

'63 राष्ट्रीय राइफल्स' से थे कैप्‍टन प्रांजल
कैप्टन प्रांजल के परिवार में उनकी पत्नी अदिति जी. हैं, उनका पार्थिव शरीर आज बेंगलुरु पहुंचेगा, जहां पूरे सम्‍मान के साथ उन्‍हें अंतिम विदाई दी जाएगी. कैप्टन प्रांजल (29) बुधवार को राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. मैसूर के रहने वाले सेना के अधिकारी '63 राष्ट्रीय राइफल्स' से थे.

"बचपन से देखता था, सेना में जाने का ख्‍वाब"
'मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड' (एमआरपीएल) के सेवानिवृत्त निदेशक एम. वेंकटेश के बेटे प्रांजल ने अपनी स्कूली शिक्षा दक्षिण कन्नड़ जिले के सूरतकल में प्राप्त की थी तथा वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से इंजीनियरिंग स्नातक थे. पिता ने बताया, "कैप्‍टन एमबी प्रांजल मेरा इकलौता बेटा था. 63 आरआर में वह सेवा कर रहा था. परसो एक एनकाउंटर में वह गंभीर रूप से घायल हो गया था. इसके कारण उसका देहांत हो गया. कल सुबह उसका पार्थिव शरीर यहां पहुंचेगा. यहां उनको गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी. वह बहुत अच्‍छे स्‍वभाव का था. बचपन से ही उसका ख्‍वाब सेना में भर्ती होना था. 2014 में उसका यह ख्‍वाब पूरा हो गया था. केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर वह 2014 में सेना में भर्ती हो गया था. दो साल पहले उसकी पोस्टिंग जम्‍मू-कश्‍मीर में हुई थी. यहां उनका काम आतंकवादियों गतिविधियों को रोकना था. भारत में ऐसे कई परिवार हैं, जो अपने बच्‍चों को देश सेवा के लिए भेज देते हैं. मैं आज उन सभी परिवारों को दिल से सलाम करना चाहूंगा." 

कैप्टन एम वी प्रांजल की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा- कैप्टन एमवी प्रांजल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान के दौरान अपनी जान गंवा दी.

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