विपक्ष की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने सोमवार को कहा कि उनके मोबाइल फोन से कॉल ना तो जा रही है और ना ही इस पर आ रही है. साथ ही, एमटीएनएल पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि अगर इसकी सेवाएं बहाल हो जाती हैं तो वह भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस या बीजू जनता दल के किसी भी सांसद को फोन नहीं करेंगी.
अल्वा ने ट्विटर पर सरकारी दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) से कहा कि उनके एमटीएनएल के ‘अपने ग्राहक को जानो' (KYC) को निलंबित कर दिया गया है और उनका सिम कार्ड 24 घंटों के लिए ब्लॉक रहेगा.
अल्वा ने कहा, ‘‘प्रिय बीएसएनएल/एमटीएनएल, आज भाजपा के कुछ मित्रों से बात करने के बाद मैं किसी को कॉल नहीं कर पा रही हूं और ना ही किसी का फोन आ पा रहा है. अगर आप सेवाएं बहाल कर देंगे, तो मैं वादा करती हूं कि आज रात भाजपा, टीएमसी या बीजद के किसी सांसद को फोन नहीं करूंगी.''
Dear BSNL/ MTNL,
— Margaret Alva (@alva_margaret) July 25, 2022
After speaking to some friends in the BJP today, all calls to my mobile are being diverted & I'm unable to make or receive calls. If you restore the phone. I promise not to call any MP from the BJP, TMC or BJD tonight.
❤️
Margaret
Ps. You need my KYC now? pic.twitter.com/Ps9VxlGNnh
उन्होंने कंपनी से पूछा कि क्या आपको मेरे केवाईसी की अब जरूरत है.
बता दें कि उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को संवैधानिक पद पर रहने का खासा अनुभव है. अल्वा गोवा की 17वीं राज्यपाल रहीं. वहीं उन्होंने गुजरात की 23वीं राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं. अल्वा राजस्थान की 20वीं और उत्तराखंड की चौथी राज्यपाल के रूप में भी काम किया.
अल्वा का जन्म 1942 में मैंगलोर में हुआ था, वे तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के विभिन्न हिस्सों में पली-बढ़ीं और इस दौरान उन्होंने स्थानीय संस्कृति को आत्मसात किया, जिसके कुछ हिस्से अब आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में हैं. उनके पिता भारतीय सिविल सेवा से जुड़े थे. अल्वा राज्यसभा के लिए लगातार चार बार और लोकसभा में एक कार्यकाल के लिए चुनी गईं. अल्वा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के तहत कई जिम्मेदारियां निभाईं.
राज्यपाल बनने से पहले अल्वा कांग्रेस की संयुक्त सचिव और कैबिनेट मंत्री रह चुकी थीं. उनकी सास वायलेट अल्वा 1960 के दशक में राज्यसभा की स्पीकर थीं. अल्वा पेशे से वकील हैं. वकालत के दौरान वे कई कल्याणकारी संगठनों से जुड़ी रहीं. साथ ही उन्होंने महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर काम किया.
गौरतलब है कि 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा. इसके लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख 19 जुलाई थी.
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