संजीव बालियान की फाइल फोटो
मुजफ्फरनगर:
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में एक स्थानीय अदालत ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, भाजपा नेता भारतेंदु सिंह, पार्टी विधायक सुरेश राणा और साध्वी प्राची सहित सभी आरोपियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए हैं। वारंट जारी करने की वजह निषेधाज्ञा का उल्लंघन और अपने भाषणों से सांप्रदायिक तनाव फैलाना बताया गया है।
यही नहीं, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सीताराम ने इस मामले में जिन और लोगों के खिलाफ वारंट जारी किए हैं उनमें भाजपा के स्थानीय नेता उमेश मलिक, पूर्व प्रखंड प्रमुख वीरेन्द्र सिंह, स्थानीय को- ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष श्यामपाल भी शामिल हैं। इन सभी को दो नवम्बर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। कहा गया है कि आरोपियों के पेश नहीं होने के कारण सुनवाई में विलंब होता जा रहा है।
आयोग की रिपोर्ट
इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने नंगला मंडोर पंचायत की बैठक में हिस्सा लिया और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया और 30 अगस्त 2013 को अपने भाषणों से हिंसा को भड़काया। मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा में 60 लोगों की जान चली गई थी और 40 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे।
इससे पहले मुजफ्फरनगर दंगों की जांच कर रहे जस्टिस (रिटायर्ड) विष्णु सहाय आयोग ने दंगों में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के स्थानीय नेताओं की भूमिका पर सवाल भी उठाए थे। आयोग ने 775 पन्नों की रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन पर लापरवाही के आरोप भी लगाए हैं।
यही नहीं, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सीताराम ने इस मामले में जिन और लोगों के खिलाफ वारंट जारी किए हैं उनमें भाजपा के स्थानीय नेता उमेश मलिक, पूर्व प्रखंड प्रमुख वीरेन्द्र सिंह, स्थानीय को- ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष श्यामपाल भी शामिल हैं। इन सभी को दो नवम्बर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। कहा गया है कि आरोपियों के पेश नहीं होने के कारण सुनवाई में विलंब होता जा रहा है।
आयोग की रिपोर्ट
इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने नंगला मंडोर पंचायत की बैठक में हिस्सा लिया और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया और 30 अगस्त 2013 को अपने भाषणों से हिंसा को भड़काया। मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा में 60 लोगों की जान चली गई थी और 40 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे।
इससे पहले मुजफ्फरनगर दंगों की जांच कर रहे जस्टिस (रिटायर्ड) विष्णु सहाय आयोग ने दंगों में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के स्थानीय नेताओं की भूमिका पर सवाल भी उठाए थे। आयोग ने 775 पन्नों की रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन पर लापरवाही के आरोप भी लगाए हैं।
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