मुंबई:
मुंबई में मानखुर्द के महिला सुधार केन्द्र की डरा देने वाली हकीकत सामने आई है। दरअसल, इस सुधार गृह में लड़कियां नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। इस रिमांड होम पर यह रिपोर्ट हाईकोर्ट की बनाई एक कमेटी ने तैयार की है। रिपोर्ट बताती है कि इस रिमांड होम में लड़कियों के साथ अमानवीय सलूक होता है।
लड़कियों के लिए खाने और साफ−सफाई के इंतजाम निहायत खराब हैं। यही नहीं कुछ लड़कियों ने यहां यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगाए हैं। कुछ लड़कियों ने यहां खुदकुशी की कोशिश भी की है। कुछ अरसा पहले यहां से 23 लड़कियां भाग निकली थीं, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में है।
जांच रिपोर्ट के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट नें पीड़ित लड़कियों का बयान दर्ज करने का आदेश दिया है। अपने अंतरिम आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि गवाह बनना चाह रही लड़कियों का बयान धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया जाए। कोर्ट ने खासतौर पर कहा है कि जो भी लड़कियां बयान देना चाहती हैं उन्हें मानखुर्द के नवजीवन सुधार केंद्र से निकालकर दूसरे सुधार केंद्र में रखा जाए। इसके अलावा कोर्ट ने फैमिली कोर्ट की जज को राज्य के सभी रिमांड होम की मॉनिटरिंग कर चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। रिमांड होम में रह रही बांग्लादेश और नेपाल की करीब 88 लड़कियां जिनकी ट्रैवल परमिट की अवधि समाप्त हो गई है उनके बारे में कोर्ट ने कहा है कि उनका परमिट रिनुअल कर जल्द से जल्द उन्हें वापस अपने वतन भेजा जाए।
इस 28 पेज की रिपोर्ट में रिमांड होम की काली दुनिया को बयान किया गया है। इसके पहले भी राज्य की बनाई जांच कमेटी यहां आ चुकी है। एनडीटीवी इंडिया के हाथ रिमांड होम में फैली गंदगी और बदहाली के कुछ वीडियो और तस्वीरें लगी हैं। इतनी अमानवीय हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां जिंदगी कैसे कटती है। रिमांड होम में 16 टॉयलेट्स और 14 बाथरूम हैं। सिर्फ दो ही ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि रिमांड होम में 200 के करीब लड़कियां रहती हैं।
यहां लड़कियों को खाना भी ऐसा दिया जाता है कि देखकर उबकाई आ जाए। एक लड़की के बयान के मुताबिक, हम पर मैडम बहुत चिल्लाती हैं। सिर्फ हल्दी, नमक और मिर्ची में खाना बनाते हैं। कांदा और हरी मिर्च भी नहीं देते। खाना कच्चा होता है। खाने में पानी इतना होता है कि लोग नहा सकते हैं, जिस दिन मटन बनता है। उस दिन 50−60 लड़कियों के लिए सिर्फ 2 किलो सब्जी बनती है। दोपहर का खाना तीन बजे के बाद देते हैं। बोलते हैं कि काम नहीं करोगे तो खाना नहीं देंगे। जेल के जैसा कीड़ा वाला खाना देते हैं। हम लोग गरीब हैं, मगर हमारे घर पर भी थोड़े-से तेल में अच्छा खाना बनता है…यहां के जैसा नहीं।
गौरतलब है कि मानखुर्द के इसी रिमांड होम से अक्टूबर महीने में 23 लड़कियां फरार हो गई थीं। उनमें से एक लड़की ने मीडिया से बात कर रिमांड में बलात्कार होने की बात कह कर सनसनी फैला दी थी। रिमांड होम से फरार एक लड़की ने बयान दिया था कि वे जबरदस्ती बाहर जाने के लिए कहते थे और न जाने पर गुस्सा करते। तब मुंबई हाईकोर्ट ने सुओ मोटो केस लेकर जांच का आदेश दिया था। जांच में उस लड़की की बात को दम मिलता दिखा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 8 सितंबर 2012 को एक लड़की रिमांड होम में लाई गई थी, तब उसकी प्रेगनेंसी रिपोर्ट निगेटिव थी, लेकिन 23 अक्टूबर को जब फिर से उसका प्रेगनेंसी टेस्ट करवाया गया तो वह पॉजीटिव निकला, जबकि इस दौरान वह रिमांड होम में ही रही।
रिमांड होम की इन्हीं ज्यादतियों की वजह से कई लड़कियां अपनी कलाई काट खुदकुशी की कोशिश भी कर चुकी हैं। हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में लड़कियों से रिश्वत लेने की बात भी कही गई है। रिमांड होम अपनी कार गुजारियों से पहले ही बदनाम थे। इस रिपोर्ट से यह साबित भी हो गया है।
लड़कियों के लिए खाने और साफ−सफाई के इंतजाम निहायत खराब हैं। यही नहीं कुछ लड़कियों ने यहां यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगाए हैं। कुछ लड़कियों ने यहां खुदकुशी की कोशिश भी की है। कुछ अरसा पहले यहां से 23 लड़कियां भाग निकली थीं, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में है।
जांच रिपोर्ट के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट नें पीड़ित लड़कियों का बयान दर्ज करने का आदेश दिया है। अपने अंतरिम आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि गवाह बनना चाह रही लड़कियों का बयान धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया जाए। कोर्ट ने खासतौर पर कहा है कि जो भी लड़कियां बयान देना चाहती हैं उन्हें मानखुर्द के नवजीवन सुधार केंद्र से निकालकर दूसरे सुधार केंद्र में रखा जाए। इसके अलावा कोर्ट ने फैमिली कोर्ट की जज को राज्य के सभी रिमांड होम की मॉनिटरिंग कर चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। रिमांड होम में रह रही बांग्लादेश और नेपाल की करीब 88 लड़कियां जिनकी ट्रैवल परमिट की अवधि समाप्त हो गई है उनके बारे में कोर्ट ने कहा है कि उनका परमिट रिनुअल कर जल्द से जल्द उन्हें वापस अपने वतन भेजा जाए।
इस 28 पेज की रिपोर्ट में रिमांड होम की काली दुनिया को बयान किया गया है। इसके पहले भी राज्य की बनाई जांच कमेटी यहां आ चुकी है। एनडीटीवी इंडिया के हाथ रिमांड होम में फैली गंदगी और बदहाली के कुछ वीडियो और तस्वीरें लगी हैं। इतनी अमानवीय हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां जिंदगी कैसे कटती है। रिमांड होम में 16 टॉयलेट्स और 14 बाथरूम हैं। सिर्फ दो ही ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि रिमांड होम में 200 के करीब लड़कियां रहती हैं।
यहां लड़कियों को खाना भी ऐसा दिया जाता है कि देखकर उबकाई आ जाए। एक लड़की के बयान के मुताबिक, हम पर मैडम बहुत चिल्लाती हैं। सिर्फ हल्दी, नमक और मिर्ची में खाना बनाते हैं। कांदा और हरी मिर्च भी नहीं देते। खाना कच्चा होता है। खाने में पानी इतना होता है कि लोग नहा सकते हैं, जिस दिन मटन बनता है। उस दिन 50−60 लड़कियों के लिए सिर्फ 2 किलो सब्जी बनती है। दोपहर का खाना तीन बजे के बाद देते हैं। बोलते हैं कि काम नहीं करोगे तो खाना नहीं देंगे। जेल के जैसा कीड़ा वाला खाना देते हैं। हम लोग गरीब हैं, मगर हमारे घर पर भी थोड़े-से तेल में अच्छा खाना बनता है…यहां के जैसा नहीं।
गौरतलब है कि मानखुर्द के इसी रिमांड होम से अक्टूबर महीने में 23 लड़कियां फरार हो गई थीं। उनमें से एक लड़की ने मीडिया से बात कर रिमांड में बलात्कार होने की बात कह कर सनसनी फैला दी थी। रिमांड होम से फरार एक लड़की ने बयान दिया था कि वे जबरदस्ती बाहर जाने के लिए कहते थे और न जाने पर गुस्सा करते। तब मुंबई हाईकोर्ट ने सुओ मोटो केस लेकर जांच का आदेश दिया था। जांच में उस लड़की की बात को दम मिलता दिखा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 8 सितंबर 2012 को एक लड़की रिमांड होम में लाई गई थी, तब उसकी प्रेगनेंसी रिपोर्ट निगेटिव थी, लेकिन 23 अक्टूबर को जब फिर से उसका प्रेगनेंसी टेस्ट करवाया गया तो वह पॉजीटिव निकला, जबकि इस दौरान वह रिमांड होम में ही रही।
रिमांड होम की इन्हीं ज्यादतियों की वजह से कई लड़कियां अपनी कलाई काट खुदकुशी की कोशिश भी कर चुकी हैं। हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में लड़कियों से रिश्वत लेने की बात भी कही गई है। रिमांड होम अपनी कार गुजारियों से पहले ही बदनाम थे। इस रिपोर्ट से यह साबित भी हो गया है।
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